BNS 232 - मिथ्या साक्ष्य, झूठी गवाही देने के लिए धमकाना कब अपराध होगा, कब नहीं, जानिए

Bhopal Samachar
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भारत में बहुत सारे लोग तो इसलिए अपराध करते हैं क्योंकि उन्हें मालूम ही नहीं होता कि वह जो कर रहे हैं, वह कम एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। किसी व्यक्ति को झूठी गवाही देने के लिए लालच देना अथवा धमकी देना, गलत बात तो है ही लेकिन भारतीय कानून में इस अपराध घोषित किया गया है। लालच देने वाले अथवा धाम की देने वाले व्यक्ति को दंडित किए जाने का प्रावधान है, लेकिन कुछ परिस्थितियों ऐसी भी होती है जहां पर गवाह को धमकी देना अथवा लालच देना, अपराध नहीं माना गया है।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 232 की परिभाषा

अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को मिथ्या साक्ष्य के लिए धमकाना अपराध होता है तब वह व्यक्ति BNS की धारा 232 के अंतर्गत दोषी होगा।
अपराध के आवश्यक तत्व:- 
1. कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को धमकाता है कि अगर वह सच नहीं बोलता है तो उसे शारीरिक नुकसान या अन्य प्रकार की हानि पहुंचाई जाएगी।
2. धमकी का उद्देश्य मिथ्या साक्ष्य देने के लिए मजबूर करना होता है।
3. धमकी किसी न्यायिक कार्यवाही में मिथ्या साक्ष्य देने के लिए होती है।
उदाहरण:
अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कहता है कि "अगर तुम अदालत में सच नहीं बोलोगे झूठ ही बोलोगे, नही तो मैं तुम्हारी हत्या कर दूंगा", तो यह धारा 232 के तहत अपराध होगा।

कब अपराध नहीं होगा:- 

1. यदि धमकी का उद्देश्य सच्चाई को उजागर करना होता है, तो यह अपराध नहीं होगा।
2. यदि धमकी किसी निजी मामले में होती है और न्यायिक कार्यवाही से संबंधित नहीं है, तो यह अपराध नहीं होगा।
नोट:- इस धारा का उद्देश्य न्यायिक कार्यवाही में मिथ्या साक्ष्य देने को रोकना है एवं यह धारा न्यायपालिका की पवित्रता को बनाए रखने में मदद करती है।

THE BHARATIYA NYAYA SANHITA, 2023,SECTION 232 PROVISION OF PUNISHMENT

इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की डारेक्ट एफआईआर दर्ज होगी। इस अपराध की सुनवाई उसी न्यायालय द्वारा की जाती है जिस न्यायालय में आरोपों का विचारण चल रहा है एवं यह समझोते योग्य नहीं है अर्थात्‌ राजीनामा नहीं किया जा सकता है।
 इस अपराध के दण्ड को दो भागों में बांटा गया है:- 
1.  न्यायिक कार्यवाही के समय झूठे साक्ष्य के लिए धमकाने पर अधिकतम सात वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
2.  झूठे साक्ष्यों के कारण अगर कोई व्यक्ति को दोष सिद्ध किया गया है तब उसी प्रकार के दण्ड से  दण्डित किया जाएगा जिस अपराध में फंसाने के लिए झूठे गावह तैयार किए थे। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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