श्री महाकालेश्वर मंदिर से डमरू वादन का सीधा प्रसारण #DamruWorldRecord#UjjainMahakaleshwar#sawan2024 https://t.co/N1wIEP6EiE
— Jansampark MP (@JansamparkMP) August 5, 2024
मध्य प्रदेश के पवित्र शहर उज्जैन में श्रावण-भादौ मास के तीसरे सोमवार 5 अगस्त को बाबा महाकाल की सवारी में उत्साह, उमंग और भक्ति का दृश्य और अधिक विहंगम हो गया है। सवारी में 1500 डमरू वादक भस्म आरती की धुन पर डमरू वादन कर विश्व कीर्तिमान रचने जा रहे हैं। भोपाल और उज्जैन के डमरु वादक के दल द्वारा महाकाल लोक के शक्तिपथ और सवारी में विशेष प्रस्तुति दी जा रही है।
रविवार को फाइनल रिहर्सल की गई
उज्जैन जिला प्रशासन और महाकाल प्रबंध समिति द्वारा डमरू वादन के कार्यक्रम की समुचित तैयारियां सुनिश्चित की गई हैं। डमरू वादकों के दलों को महाकाल प्रबंध समिति की ओर से विशेष प्रशिक्षण दिया गया। जिसकी रविवार को फाइनल रिहर्सल की गई थी। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की मंशानुरूप बाबा महाकाल की सवारी में उत्साह और आकर्षण को और अधिक बढ़ाने के क्रम में जनजातीय कलाकारों की प्रस्तुति, 350 जवानों के पुलिस बैंड की प्रस्तुति के बाद अब बाबा महाकाल की सवारी में डमरू वादन का गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने हेतु प्रदर्शन किया जा रहा है।
भगवान महाकाल तांडव स्वरूप में भक्तों को दर्शन देंगे
तृतीय सोमवार को भगवान श्री महाकालेश्वर श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी में, हाथी पर श्री मनमहेश के रूप में व गरूड़ रथ पर श्री शिव-तांडव रूप में विराजित होकर उज्जैन के नागरिकों एवं उज्जैन में आए श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण करने नगर भ्रमण पर निकलेंगे। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर श्री मृणाल मीना ने बताया कि, श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन होगा। उसके पश्चात भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी जावेगी।
महाकाल की सवारी में जनजातीय कलाकारों की सहभागिता
मजनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्वर जी की सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल सहभागिता कर रहा है। श्री महाकालेश्वर भगवान की तीसरी सवारी में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति देने के लिए मध्यप्रदेश के निमाड अंचल के पारंपरिक लोकनृत्य काठी नृत्य दल का चयन किया गया है।
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