कलेक्टर ऋषि गर्ग IAS रहम नहीं कर रहे थे, मैंने तो ढाई लाख रुपए चंदा भी दिया था: राजेश अग्रवाल हरदा वाले

मध्य प्रदेश का हरदा ब्लास्ट, जिसमें 13 नागरिकों की मृत्यु हो गई थी। एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। (रिवीजन के लिए यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं)  नियमों का उल्लंघन करके संचालित की जा रही है बारूद फैक्ट्री के मालिक का इंटरव्यू प्रकाशित हुआ है। बारूद फैक्ट्री के मालिक राजेश अग्रवाल ने भोपाल के प्रतिष्ठित पत्रकार श्री योगेश पांडे को बुलाकर अपना पक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने यह बताने का प्रयास किया कि वह भी पीड़ित है। उन्हें एवं उनके पूरे परिवार को कलेक्टर ऋषि गर्ग द्वारा प्रताड़ित किया गया है। 

6 महीने से जेल में बंद राजू सेठ के इंटरव्यू के प्रमुख बिंदु पढ़िए 

हरदा का राजू सेठ उर्फ़ राजेश अग्रवाल, घटना के बाद फरार हो गया था। बड़ी मुश्किल से पकड़ा गया। पिछले 6 महीने से भोपाल की सेंट्रल जेल में बंद है। उसे मेडिकल चेकअप के लिए अस्पताल लाया गया। कैदियों को मेडिकल चेकअप के लिए कब लाया जाता है, इसकी सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की जाती। राजू सेठ ने अपनी पावर का उपयोग करके पत्रकार श्री योगेश पांडे तक सूचना पहुंचाई। दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई, जो दैनिक भास्कर में विस्तार से प्रकाशित हुई है। उसके प्रमुख अंश और उनके पीछे छुपा हुआ मैसेज इस प्रकार हैं। 

राजू सेठ का मैसेज नंबर 1 - मेरा भाई निर्दोष है, फरार होने का डिसीजन मेरा था

राजू सेठ ने कहा, जब ब्लास्ट हुआ तब हम फैक्ट्री से 35 किलोमीटर दूर थे। छोटा भाई सोमेश और मैं खातेगांव में एक जमीन देखने गए थे। हम वहां होटल बनाना चाहते थे। पटाखे का काम छोड़ना चाहते थे। फैक्ट्री में आग की खबर लगी तो हमें कहा गया कि तुम हरदा मत आना, लोग जान ले लेंगे। हम इंदौर की तरफ भागे। मेरा भाई मुझसे कह रहा था कि हम सरेंडर कर देते हैं। मैंने ही कहा कि लोग गुस्से में हैं, पुलिस वाले भीड़ को कंट्रोल नहीं कर पाएंगे।

मैसेज नंबर 2 - सिर्फ 6 लोगों की मौत का मुआवजा दूंगा

राजू सेठ ने बताया कि, हमारी फैक्ट्री में काम करने वाले सिर्फ 6 लोगों की माैत हुई। बाकी 7 लोग तो वो थे, जिनका फैक्ट्री से कोई वास्ता नहीं था। घायल भी दूसरे लोग हुए हैं। किसी व्यक्ति का एक्सीडेंट हुआ तो उसने भी अपना नाम लिखा दिया कि पटाखा फैक्ट्री में काम करते हुए जख्मी हुआ। ऐसे कई लोगों ने खुद को जख्मी बता दिया, जिनके शरीर पर खरोंच तक नहीं थी। जो लोग आग देखने गए, वीडियो बनाने गए...उनकी भी जान गई। हमारी फैक्ट्री के पीछे 14-15 मकान हैं। ये मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने थे। अब वो कह रहे हैं कि मेरा 15 लाख और 20 लाख का मकान था। फिर भी हम मृतकों को मुआवजा देने तैयार हैं। जिनके मकान टूटे, उनके मकान रिपेअर कराने के लिए तैयार हैं।

मैसेज नंबर 3 - ब्लास्ट हुआ तो इसके लिए श्रम विभाग जिम्मेदार है

राजू सेठ ने बताया कि, हर महीने की 4 तारीख को श्रम विभाग और एसडीओपी को फैक्ट्री की रिपोर्ट जाती थी। 4 फरवरी को रिपोर्ट गई थी, 6 फरवरी को आग लगी। फैक्ट्री में चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगे थे। 50 किलो के 25 और 10 किलो वाले 35 फायर एक्सटिंग्विशर लगे थे। इसके अलावा 3 बोर थे। सभी में वायरिंग थी। 1 हजार लीटर की 20 टंकियों में पानी भरा हुआ था। छत पर 15 हजार लीटर की पानी की टंकी थी। हर महीने श्रम विभाग, थाना, पुलिस के अधिकारी आते थे, जांच करते थे। साल में 4 बार एसडीएम भी आते थे।

मैसेज नंबर 4 - राहत नहीं मिली तो सबकी पोल खोल दूंगा

हमारी जमीन पर कभी हादसे नहीं हुए। हां, ये सही है कि मैंने दो लोगों को मुंह बंद करने के लिए 5-5 लाख रुपए दिए थे। ऐसा इसलिए, ताकि कोर्ट-कचहरी के चक्कर न काटना पड़ें।

मैसेज नंबर 5 - नीचे नहीं तो ऊपर, कहीं न कहीं तो रिलीफ मिलता

हरदा के तत्कालीन कलेक्टर ऋषि गर्ग ने आपका लाइसेंस सस्पेंड किया तो आप कमिश्नर से कैसे स्टे ले आए?, सवाल के जवाब में राजू सेठ ने कहा कि, ये तो होता ही है, नीचे से कोई एक्शन हुआ तो ऊपर से ही रिलीफ मिलता है। कलेक्टर ने किया तो कमिश्नर से मिले। कमिश्नर ओके नहीं करते तो हाईकोर्ट जाते। कहीं न कहीं तो रिलीफ मिलता।

फाइनल मैसेज - कलेक्टर ऋषि गर्ग IAS मेरे पूरे परिवार को प्रताड़ित कर रहे हैं

मेरी फैक्ट्री में हादसा हुआ, लेकिन कलेक्टर ने मेरे बड़े और छोटे भाई की फैक्ट्री का भी माल जला दिया। जब हमीदिया अस्पताल में ताला नहीं लगाया तो फिर हमारी फैक्ट्री में क्यों ताला लगा दिया? हमारी तो 30 साल की मेहनत चंद घंटों में खत्म हो गई। ये दुश्मन की साजिश भी हो सकती है। हमने प्रशासन को बताया भी, लेकिन हमारी सुनने वाला कौन है? हमारा तो घर भी सील कर दिया। परिवार के 11 सदस्य हैं, लेकिन वो 4 जगह रह रहे हैं। मेरी मां और छोटी बेटी अलग रह रही है। छोटे भाई की पत्नी अपने मायके में है। मेरी पत्नी अपने मायके में है।

मेरी किडनी ट्रांसप्लांट होना है, 25 मार्च 2024 की तारीख तय हो गई थी। कोलकाता में ट्रांसप्लांट होना था। मेरी बड़ी बेटी मुझे किडनी डोनेट करने वाली थी, लेकिन क्या से क्या हो गया? मेरी 4 बेटियां हैं, 1 बेटा है। किसी की शादी नहीं हुई है। हम अपना दर्द किसे बताएं? हम दोनों भाई जेल में हैं। दोनों बड़ी बेटियां कोर्ट-कचहरी देख रही हैं। वे ही वकीलों से मिलती हैं। पूरा केस वही देख रही हैं।

आपने हरदा कलेक्टर गर्ग के खिलाफ हाईकोर्ट में व्यक्तिगत शिकायत की थी? सवाल के जवाब में राजू सेठ ने कहा, उन्होंने मेरा धंधा बंद करवा दिया था। ऐन दिवाली से पहले लाइसेंस सस्पेंड कर दिया। कलेक्टर गर्ग ने हमें परेशान कर दिया था। मैंने तो रेड क्रॉस में 2.50 लाख रुपए चंदा भी दिया था, लेकिन फिर भी वो हम पर रहम नहीं कर रहे थे। किसी और अफसर ने कभी इतना परेशान नहीं किया।

हमारा घर हादसे वाले दिन से सीज है। ऐसा कौन सा कानून है, जिसमें किसी को बेघर कर दिया जाए। जो 13 लोग मरे हैं, उनका हमें अफसोस है, लेकिन जो जीते-जी 11 लोग मर रहे हैं, उनकी कौन सुनेगा? हमारी चारों फैक्ट्रियों को सीज कर दिया, सारी फैक्ट्रियों का माल नष्ट कर दिया।

हमने भी तो कहीं से पैसा लिया होगा। हमारी एक फैक्ट्री में हादसा हुआ, उसे बंद करते। हमारे भाई की फैक्ट्री क्यों बंद कर दी? उसमें जो बने हुए पटाखे रखे थे, उन्हें भी नष्ट करवा दिया। यदि लाइसेंस से ज्यादा मात्रा में था तो कानून में उसके लिए प्रावधान है। जुर्माना करते।

दलील :- डंपर से रोजाना 100-50 लोगों की मौत हो जाती है तो सरकार डंपरों को बंद कर देती है क्या? हमीदिया में आग लगने से बच्चे मर गए तो क्या हमीदिया अस्पताल में ताला लगा दिया गया? 
राजू सेठ की सरकार से प्रार्थना - मेरी उम्र 55 साल हो गई है। यह धंधा ही छोड़ दूंगा। कोई दूसरा धंधा कर लूंगा।

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