ऐसा झूठा बयान या साक्ष्य जिस किसी को मृत्युदंड मिल जाए, कितना गंभीर अपराध - Legal Advice

भारत के नए कानून भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 227 में झूठे साक्ष्य को देना अपराध होता है एवं धारा 228 में झूठे साक्ष्यों को गढना (बनाना, निर्मित करना, प्रिंट करना, क्रिएट करना) अपराध माना है एवं धारा 229 में झूठे साक्ष्य को देने वाले व्यक्ति को और गढने वाले व्यक्ति को दण्ड का प्रावधान दिया गया है लेकिन अगर कोई व्यक्ति ऐसे किसी अपराध का झूठा साक्ष्य देगा या गढेगा जिसमें आरोपी को मृत्युदंड मिल रहा है तब उस झूठे साक्ष्य देने वाले और गढने वाले व्यक्ति को वाले व्यक्ति के खिलाफ क्या कानूनी कार्यवाही होगी जानिए।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 230 एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 194 की परिभाषा

जो कोई व्यक्ति किसी निर्दोष व्यक्ति को मृत्युदंड दिलवाने के आशय से ऐसे अपराध के लिए झूठे बयान, कथन, साक्ष्य देगा या दस्तावेज गढेगा कि उसे मृत्यु दण्ड मिल जाए तब वह व्यक्ति BNS की धारा 230 एवं IPC की धारा 194 के अंतर्गत दोषी होगा।

▪︎ दर्शन सिंह बनाम पंजाब राज्य :- इस मामले मे अन्वेषण कर रहे पुलिस इंस्पेक्टर ने ग्रामवासी एवं दो सरपंचों से मिली भगत करके एक निर्दोष व्यक्ति को हत्या के अपराध में फंसवा दिया जिसके कारण सेशन न्यायालय द्वारा उस व्यक्ति को अपराधी ठहराया गया। इसके विरुद्ध उस व्यक्ति ने हाइकोर्ट में अपील दायर की अपील की सुनवाई के दोरान मारा गया व्यक्ति न्यायालय में उपस्थित हो गया एवं उसने उसे स्वयं को न्यायालय में नहीं उपस्थित होने का कारण बताया। इस आधार पर हाई कोर्ट ने पुलिस इंस्पेक्टर एवं सरपंच तथा अन्य साक्षियों को IPC की धारा 340 एवं IPC की धारा 194 के अन्तर्गत अभियोजन चलाने का निर्देश दिया।

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 230 or Indian Penal Code Section 194 Provision of punishment

"यह अपराध,असंज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं अर्थात इस अपराध के लिए उसी सेशन न्यायालय में परिवाद (शिकायत) दर्ज होगी जिस न्यायालय में झूठे साक्ष्य देने और गढने का मामला चल रहा है। एवं इस अपराध की सुनवाई सुनवाई सेशन न्यायालय में की जाती है। इस अपराध की सजा को दो भागों में बांटा गया है:-
1. किसी निर्दोष व्यक्ति को मृत्युदंड करवाने के आशय से झूठा बयान या साक्ष्य गढना तब आजीवन कारावास या दस वर्ष की कठोर कारावास और 50000 रुपये जुर्माने से दण्डित किया जाएगा (नए कानून के जुर्माना बढ़ा दिया गया है)।

2. झूठे साक्ष्य देने के कारण या गढने के कारण किसी व्यक्ति को दोषी करार देकर फांसी ही दे दी गई हो तब उस व्यक्ति को भी अधिकतम मृत्यु दंड की सजा मिलेगी या कम से कम 10 वर्ष की कारावास जो आजीवन कारावास तक हो सकती है एवं पचास हजार रुपए जुर्माना। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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