अगर कोई व्यक्ति झूठा बयान देता है तो उसके विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 191 के अंतर्गत कार्यवाई होगी लेकिन अगर कोई व्यक्ति न्यायालय में ऐसे गवाही साक्ष्य के रूप मे देते है जो झूठी है एवं उसे सच बताता है तब उसके खिलाफ एक अन्य धारा के अंतर्गत मामला दर्ज होगा जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 236 एवं भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 199 की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति विधि द्वारा साक्ष्य के रूप मे कोई घोषणा देने के लिए बाध्य है एवं वह उस समय झूठी घोषणा करता है अर्थात् उस मिथ्या घोषणा को सच बताता है तब वह व्यक्ति BNS की धारा 236 एवं IPC की धारा 199 के अंतर्गत अपराध होगा।
उप-महाप्रबंधक इंटर स्टेट टर्मिनल बनाम सुदर्शन कुमार:- मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रार्थी द्वारा न्यायालय में झूठा शपथ पत्र देना भारतीय दण्ड संहिता कि धारा 199 के अंतर्गत अपराध होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 236 or Indian Penal Code Section 199 Provision of punishment
यह अपराध,असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं , अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की एफआईआर दर्ज नहीं होगी। इस अपराध के लिए उसी न्यायालय में परिवाद लगाया जा सकता है जिस न्यायालय में आरोपी झूठा साक्ष्य प्रस्तुत कर रहा है एवं सुनवाई भी उसी न्यायालय में होगी। इस अपराध के लिए आरोपी को वहीं दण्ड दिया जाएगा जो मिथ्या साक्ष्य देने या गढने के लिए दिया जाता है अर्थात् न्यायिक कार्यवाही में देने के लिए प्रमाण पत्र जारी करने पर अधिकतम सात वर्ष कारावास और 10000 रुपये जुर्माना एवं अन्य मामलों की कार्यवाही के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास एवं 5000 रुपये जुर्माना। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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