सरकारी अधिकारी की सहायता नहीं करना कब अपराध माना जाता है, जानिए - Legal Advice

भारतीय संविधान में भारत के प्रत्येक नागरिक को उनके मौलिक कर्तव्य दिए गए हैं और वह इनका पालन करे संविधान उनसे यह अपेक्षा करता है। इसी प्रकार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं दंड प्रक्रिया संहिता में भी ग्राम पंचायत के नागरिक एवं जनता से कानूनी तौर पर अपेक्षा की जाती है कि अगर कोई सरकारी अधिकारी या लोक सेवक कोई अपराध का अन्वेषण या जाँच कर रहा है तो वह उसकी सहायता करे और सही जानकारी दे एवं लोक सेवक को झूठी जानकारी न दे अगर वह ऐसा करते है तो:-

1. कोई सूचना या जानकारी छुपाने के लिए BNS की धारा 211 एवं IPC की धारा 176 के अंतर्गत दण्डित होगा इसकी संपूर्ण जानकारी हमने अपने लेख में दे दी है।
2. कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को झूठी सूचना देता है या जानकारी देता है तब वह BNS की धारा 212 एवं IPC की धारा 177 के अंतर्गत दोषी होगा इसकी जानकारी भी हमने पिछले लेख में दे दी है। आप इसी वेबसाइट पर सबसे टॉप में उपलब्ध सर्च ऑप्शन का उपयोग करके पढ़ सकते हैं।
3. अगर कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक की सहायता नहीं करता है तब वह एक अन्य धारा के अंतर्गत दोषी होगा जानिए।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 222 एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 187 की परिभाषा

जो कोई व्यक्ति जो विधिक रूप से लोक सेवक को उसके कर्तव्यपालन में सहायता करने के लिए बाध्य है और वह जानबूझकर कर लोक सेवक की सहायता नहीं करता है या सहायता करने में लोप करता है वह व्यक्ति BNS की धारा 222 एवं IPC की धारा 187 के अन्तर्गत दोषी होगा।

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 222 or Indian Penal Code Section 187 Provision of punishment

"यह अपराध, असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डारेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं होगी लेकिन पुलिस थाने से एनसीआर लिखी जा सकती है एवं इस अपराध के लिए कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज होगा परिवाद किसी लोकसेवक के द्वारा दर्ज होगा जो वहा का प्राधिकारी हो। इस अपराध की सुनवाई कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के दण्ड को दो भागों में बांटा गया है:

1. सरकारी अधिकारी की सहायता करने से तब लोप करना जब व्यक्ति कानूनी तौर पर सहायता करने के लिए बाध्य हैं, तीन माह की कारावास या जुर्माना (अब नए कानून में 2500 रुपये जुर्माना होगा) या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
2. किसी आदेश के तहत किसी अपराधों के निवारण के लिए सहायता मांगी गई है और सहायता जानबूझकर नहीं की गई या लोप किया गया हो। तब नये कानून में छः माह का सादाहरण कारावास या पाँच हज़ार रुपये जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।

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