जब कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक या न्यायालय के समक्ष कोई बयान, कथन आदि देने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य है और अधिकारी या न्यायालय ऐसे बयान को लिखित में दर्ज कर लेता है और बयान देने वाले व्यक्ति को उस पर हस्ताक्षर करने होते है, अगर वह व्यक्ति अपने दिए हुए कथन, बयान पर हस्ताक्षर नहीं कर्ता है तब कानून उसे क्या दण्ड देगा जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 215 एवं भारतीय दण्ड संहिता 180 की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति विधि द्वारा प्राधिकृत लोक सेवक के समक्ष कथन या बयान देता है या न्यायालय में मजिस्ट्रेट के सक्षम बयान या कथन देता है। तब न्यायालय उस व्यक्ति से दिए गए कथन या बयान पर हस्ताक्षर करने को कहता है और वह व्यक्ति हस्ताक्षर करने से मना कर देता है तब उसे BNS की धारा 215 एवं IPC की धारा 180 के अंतर्गत दण्डित किया जाएगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 215 or Indian Penal Code Section 180 Provision of punishment
"यह अपराध,असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डायरेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं होगी। इस अपराध के लिए कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज करवा सकते हैं एवं इस अपराध की सुनवाई कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए तीन माह की सादा कारावास या पाँच हज़ार रुपये जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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