यह अपनी तरह का पहला मामला है परंतु बड़े सवाल पैदा करता है। होलकर कॉलेज में पढ़ने वाली एक लड़की की मृत्यु केवल इसलिए हो गई क्योंकि उसने अपने गले में कॉलेज का आई कार्ड बना हुआ था। आई कार्ड की मजबूत स्ट्रिप उसके गले में फांसी का फंदा बन गई।
प्रत्यक्षदर्शी द्वारा घटना का विवरण
लड़की की जान बचाने का प्रयास करने वाले प्रत्यक्षदर्शी राहगीर श्री गिरीश देवड़ा ने बताया कि, मैं अपनी बेटी को कॉलेज छोड़ने जा रहा था। शैजल जटिया (उम्र 19 वर्ष) पिता राकेश जटिया निवासी उमंग पार्क कॉलोनी हमारे ठीक पीछे एक्टिवा से चल रही थी। उसने गले में आई-कार्ड पहन रखा था। सामने से आ रहे ई-रिक्शा से एक्टिवा को टक्कर लगी। टक्कर के बाद रिक्शा आगे बढ़ गया। इसी दौरान शैजल का आईकार्ड एक्टिवा के हैंडल में फंस गया। वह थोड़ी दूर तक गई और फंदा कसने से लड़खड़ाई। इसके बाद उसका सिर एक्टिवा के मास्क पर टकराया। खून निकलने लगा और वह गिर पड़ी। मैंने गाड़ी रोकी तो आई-कार्ड फंसा हुआ था। मैं दौड़ा और उसे उठाने लगा। बाइक सवार हेमेंद्र लोधी निवासी सांवरिया एवं मोहन कौशल, हम तीनों ने एक रिक्शा में शैजल को बैठाया और उसे जिला अस्पताल लाए। रास्तेभर उसे हिलाया और उसकी नब्ज देखी, लेकिन अस्पताल पहुंचते ही उसकी सांसें थम गई।
इसे एक्सीडेंटल इस्ट्रेंगुलेशन कहते हैं - एक्सपर्ट कमेंट
फाॅरेंसिक एक्सपर्ट डॉक्टर भरत वाजपेयी ने बताया कि प्रारंभिक मामला एक्सीडेंटल था, लेकिन जब पीएम हुआ तो देखा कि उसकी मौत चोट से नहीं हुई। शरीर पर चोट के सामान्य निशान थे, लेकिन मौत दम घुटने से हुई। यह मेरे जीवन का दुर्लभ केस है। मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा। इसे एक्सीडेंटल इस्ट्रेंगुलेशन कहते हैं।
इस समस्या का समाधान क्या है
- आई कार्ड को गले में लटकाने की परंपरा बंद हो जानी चाहिए।
- आई कार्ड का वजन कम होना चाहिए और उसकी स्ट्रिप कमजोर होनी चाहिए।
- आई कार्ड की जगह QR CODE का स्टीकर दिया जाना चाहिए।
- आई कार्ड को कमर में लटकाना चाहिए।
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