मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रविवार से सुर्खियों में चल रही मंत्री पुत्र द्वारा बिना वजह रेस्टोरेंट संचालक की मारपीट वाली खबर आज अचानक बदल गई है। सबसे ज्यादा प्रसारित होने वाले अखबार दैनिक भास्कर में पुलिस की पिटाई से घायल मंत्री पुत्र और पुलिस के उस पट्टे के फोटो प्रकाशित हुए हैं जिससे मंत्रिपुत्र की पिटाई की गई थी। इस रिपोर्ट के सामने आते ही कुछ नए सवाल पैदा हो गए हैं।
भोपाल पुलिस ने मंत्री पुत्र को लॉकअप में बंद करके बेरहमी से पीटा है
प्रकाशित हुई ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, शाहपुरा थाना पुलिस ने मंत्री पुत्र अभिज्ञान पटेल को लॉकअप में बंद करके बहुत बेरहमी से पीटा है। चारों पुलिस वालों ने उसे लात-घूंसों से मारा। फिर अपने बेल्ट से पीटा, और पुलिस थाने में रखें उस पट्टे से भी मारा पीटा, जिसका उपयोग थर्ड डिग्री टॉर्चर के लिए किया जाता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पुलिस ने इस पट्टे का नाम "सुधार सिंह" रखा है।
विवाद के समय क्या अभिज्ञान पटेल नशे में था
रिपोर्ट में लिखा गया है कि, अभिज्ञान पटेल ने इस आरोप को खारिज कर दिया है। अभिज्ञान पटेल ने उन पत्रकारों से कहा- मैं हार्ट पेशेंट हूं। दिल में छेद है। डॉक्टरों ने साफ कहा है कि शराब पी, तो हार्ट नहीं बचेगा। मैं कैसे शराब पी सकता हूं। पुलिस ने मेरे साथ ऐसा बर्ताव किया। आम लोगों के साथ क्या करती होगी?।
कुछ सवाल जिनके जवाब जरुरी है
- यदि पुलिस ने मंत्री पुत्र को मार मार कर अधमरा कर दिया था तो फिर मंत्री जी ने अपने बेटे का मेडिकल क्यों नहीं कराया। (कहीं ऐसा तो नहीं कि, किसी को डर था कि यदि मेडिकल कराया तो यह भी पता चल जाएगा कि लड़का नशे में है।)
- मंत्री पुत्र पर जानलेवा हमला करने वाले पुलिसकर्मियों को सिर्फ सस्पेंड क्यों किया गया। मंत्री जी ने FIR के लिए धरना क्यों नहीं दिया। (कहीं ऐसा तो नहीं की पूरी कहानी बाद में बनाई गई है।)
- निलंबित किया गया चौथा पुलिस कर्मचारी घटना के समय थाने में मौजूद नहीं था, फिर उसने मंत्री पुत्र को कैसे पीटा होगा।
- मंत्री जी के पुत्र पर पुलिस ने इतना अत्याचार किया, और मुख्यमंत्री सहित मंत्री जी की पार्टी उनके साथ नहीं है। ऐसा क्यों।
- रविवार से पूरे भोपाल के पत्रकार मंत्री जी को फोन लगा रहे हैं। सिर्फ दैनिक भास्कर के पत्रकारों को बुलाकर सारी कहानी क्यों बताई। जब इतना बवाल मच गया है तो उसका स्पष्टीकरण देने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाना चाहिए था। (कहीं ऐसा तो नहीं कि पत्रकारों की क्रॉस क्वेश्चन के डर से सभी पत्रकारों को नहीं बुलाया गया)।
- मध्य प्रदेश की राजनीति में शायद पहली बार हो रहा है जब पीड़ित युवक का मंत्री पिता, रविवार से मंगलवार लगातार 3 दिन तक किसी को अपनी प्रताड़ना की कहानी नहीं सुना रहा था। न्याय नहीं मांग रहा था।
- कितनी आश्चर्यजनक बात है कि जिस पुलिस ने मंत्री पुत्र को बेरहमी से पीटा। उसी पुलिस ने एफआईआर में मंत्रीपुत्र का नाम तो लिखा लेकिन पिता का नाम और पता नहीं लिखा। उस से लेकर आज तक नहीं लिखा।
- कितनी चौंकाने वाली बात है कि मंत्रीपुत्र के हमले से घायल रेस्टोरेंट संचालक के सिर में लगी चोट जानलेवा थी या नहीं, कोई सरकारी डॉक्टर इस सवाल का जवाब देने तैयार नहीं है।
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