बैचलर ऑफ़ एजुकेशन डिग्री वाले उम्मीदवारों की प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति के विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आज मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में बहस शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि दिनांक 11 अगस्त 2023 के बाद की गई सभी नियुक्ति अवैध है लेकिन दिनांक 25 नवंबर 2021 से दिनांक 11 अगस्त 2023 तक हुई नियुक्तियों का क्या करना है, यह फैसला राज्य के हाईकोर्ट करेंगे। इसी के पालन में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में बहस शुरू हो गई है।
मध्य प्रदेश में विवादित नियुक्तियां की संख्या
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक 11.8.2023 को पारित निर्णय मे प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बीएड डिग्री को अयोग्य घोषित किए जाने के फैसले पर क्लारीफ़िकेशन हेतु मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट मे दायर पुनर्विचार याचिका की सुनवाई पूर्व शपथ पत्र दाखिल करके बताया गया है कि कुल 21962 नियुक्तियों मे से 11583 बीएड अभ्यर्थियो को प्राथमिक शिक्षको के रूप मे नियुक्तीय दी गई है शेष डीएलएड को तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिनांक 08.11.2023 के बाद प्रतीक्षा सूची मे से 284 बीएड डिग्री वाले अभ्यर्थियो को नियुक्त किया गया है। इस प्रकार नियुक्त हुए टोटल उम्मीदवारों के की संख्या 11867 है।
पुनर्विचार याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिनांक 8.4.24 को स्पष्ट / क्लारीफ़िकेशन करके कहा है कि:-
(1)- दिनांक 08.11.23 के बाद प्राथमिक शिक्षकों के रूप मे बीएड डिग्री वाले उम्मीदवारों की नियुक्तियां पूर्ण रूप से संवैधानिक हैं।
(2)- जो नियुक्तीय राजस्थान हाई कोर्ट के निर्णय दिनांक 25 नवंबर 2021 और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय दिनांक 08.11.23 के बीच में हुई है, तथा उक्त दिनांक के पूर्व संबंधित हाईकोर्ट के अन्तरिम आदेश प्रवर्तन मे है, उनकी वैधानिकता के संबंध मे संबंधित राज्यों का हाईकोर्ट फैसला करेगा।
मध्य प्रदेश की स्थिति
मध्य प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों की समस्त भर्तियों को हाईकोर्ट ने दिनांक 07/7/2022 को WP/13768/2022 के निर्णय के अध्यअधीन कर दिया है। मध्य प्रदेश सरकार ने जानबूझकर अन्तरिम आदेश को दरकिनार करके कर दी गई है बीएड डिग्री वाले उम्मीदवारों की नियुक्ति की, जबकि दिनांक 7 जुलाई 2022 को यह स्पष्ट हो गया था कि इस प्रकार की सभी नियुक्ति विवादित है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में आज की कार्यवाही का विवरण
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर मे सैकड़ों डीएलएड उम्मीदवारों की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा दायर एक दर्जन के लगभग याचिकाओं में भारत सरकार सहित मध्य प्रदेश सरकार के भर्ती नियमों की संवैधानिकता को चुनोती दी गई है। उक्त समस्त याचिकाओं की सुनवाई आज दिनांक 15/4/24 को जस्टिस श्री शील नागू तथा जस्टिस श्री अमरनाथ केशवानी की खंडपीठ द्वारा की गई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य शासन को आदेशित किया गया है कि प्राथमिक शिक्षकों के रूप मे नियुक्त बीएड अभ्यर्थियों का तारीख वार कंपरेटिव चार्ट प्रस्तुत करें।
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया की मध्य प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल पुनर्विचार याचिका में राज्य शासन की ओर से शपथ पत्र पर प्रस्तुत जानकारी के अनुसार अभी तक की कुल 21962 पदों की नियुक्तियों मे 11583 बीएड डिग्री धारियों को नियुक्तीय दी गई है। उक्त विवादित समस्त नियुक्तीय माननीय हाईकोर्ट द्वारा याचिका क्रमांक 13768/2022 में पारित अन्तरिम आदेश दिनांक 07/7/2022 के बाद की गई है। मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिनांक 30.3.2023 को 16427 नियुक्तियों मे 8799 बीएड डिग्री धारियों तथा दिनांक 10.8.2023 को 5617 नियुक्तियों मे 2784 बीएड डिग्री धारियों को नियुक्ति प्रदान कर दी गई है।
याचिका कर्ताओं की ओर पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया की राज्य शासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल अकड़ों के आधार पर उक्त याचिकाओं की अंतिम सुनवाई करके निराकृत किया जा सकता है, क्योंकि राजस्थान हाईकोर्ट ने दिनांक 25.11.2021 को आदेश पारित कर NCTE की अधिसूचना दिनांक 18.6.2018 को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक 11.8.2023 को अपने आदेश मे पुष्टि करके राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को वैध करार दिया गया। फिर भी मध्य प्रदेश सरकार ने नियुक्तियां प्रदान करके अनावश्यक लेटीगेशनो को जन्म दिया गया है।
उक्त समस्त तथ्यो को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन को स्पष्ट निर्देशित किया गया है की आगामी दिनांक 24.4.2024 को की गई समस्त नियुक्तियों का दिनांकवार तुलनात्मक चार्ट प्रस्तुत किया जाए। याचिका कर्ताओ की ओर से पैरवी सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमति मीनक्षी अरोरा, रामेश्वर सिंह ठाकुर, राजस्थान हाईकोर्ट से अधिवक्ता विज्ञान शाह, मनदीप कालरा ने पैरवी की राज्य शासन की ओर से एडी॰ एडवोकेट जनरल जनहवी पंडित, आशीष वर्नार्ड तथा बीएड अभ्यर्थियो की ओर से एन एस रूपराह , दिनेश चौहान ने पक्ष रखा।
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