बड़ी खबर - AIIMS BHOPAL में कीमोथेरेपी के विकल्प का आविष्कार, कैंसर का इलाज मिला

यह भारत के सभी नागरिकों के लिए बड़ी और महत्वपूर्ण खबर है। AIIMS BHOPAL के जैव रसायन विभाग में इंसानों को कैंसर से बचने के लिए रिसर्च चल रही है। इसकी सफलता के बाद कैंसर को बिल्कुल वैसे ही ठीक किया जा सकेगा जैसे सर्दी खांसी जुकाम को ठीक कर दिया जाता है। बड़ी बात यह है कि इसका पहला ट्रायल सफल हो गया है। 

कीमोथेरेपी अपने आप में संकट है

अब तक कैंसर का कोई सटीक इलाज नहीं था। कीमोथेरेपी एक विकल्प था और कई बार कीमोथेरेपी के कारण कैंसर के बढ़ जाने के मामले भी सामने आए। कई बार तो यह भी कहा गया कि मरीज की कैंसर से नहीं बल्कि कीमत थेरेपी के कारण मृत्यु हो गई है। कीमोथेरेपी इतनी खतरनाक होती है कि पहले और दूसरे चरण के बाद इंसान के शरीर के सारे बाल झड़ जाते हैं। मनुष्य के शरीर की इम्युनिटी पावर खत्म हो जाती है। इसके सफल हो जाने के बाद भी मनुष्य के स्वस्थ रहने की कोई गारंटी नहीं होती। बल्कि ज्यादातर मरीज, पूरे जीवन सिर्फ जीवित रहते हैं। स्वस्थ जीवन नहीं जी पाते।

प्रकृति का हर एक पेड़ जरूरी है

एम्स भोपाल की चिकित्सा वैज्ञानिकों ने आयुर्वेदिक तरीके से कैंसर के उपचार के लिए मुनगा (MORINGA) की पत्तियां और फली से तीन तरह के Bioactive Compound बनाए हैं। अब इस Compound के Prehuman trial के लिए Tagging भी शुरू कर दी है। यह Prehuman trial ठीक उसी तरह होगा जैसे की मानव शरीर में ट्रायल हो रहा हो। इसके लिए टारगेटड सेल कृत्रिम रूप से तैयार किए गए हैं।

The Indian Institutes of Science Education and Research (IISERs)

इसके लिए दो ग्रुप बनाए गए हैं। एक ग्रुप को MORINGA के साथ ही अन्य कंपाउड दिए जाएंगे, वहीं दूसरे ग्रुप में बायो एक्टिव कंपाउंड दिए जाएंगे। The Indian Institutes of Science Education and Research (IISERs) ने यह कंपाउंड बनाने में मदद की है। इसे Core Drug नाम दिया है। स्टडी में परिणाम सामने आने के बाद इसका Human trial में कर इसके पेंटेंट के लिए एप्लाई किया जाएगा।

सिर्फ 16 दिन में कैंसर खत्म होने लगा था, कोई साइड इफेक्ट

एम्स के बायोकेमिस्ट्री विभाग के डॉ. सुकेश मुखर्जी ने बताया कि एनिमल हाउस में चूहों के दो समूह बनाए गए। एक ग्रुप के चूहों में ब्रेस्ट कैंसर डेवलप किया। दूसरों को सामान्य रखा गया। सामान्य चूहों पर इस कोर ड्रग का कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ। इससे निष्कर्ष निकाला कि इस ड्रग का उपयोग करने पर नॉर्मल सेल्स में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।

सिर्फ 3 महीने में कैंसर खत्म

ब्रेस्ट कैंसर वाले चूहों को मुंह के जरिए कोर ड्रग के ड्रॉप्स पिलाए गए। 16वें दिन इसका परिणाम आना शुरू हो गया। धीरे-धीरे ब्रेस्ट कैंसर की सेल्स नष्ट होने लगीं। तीन महीने चले इस प्रयोग में चूहे पूरी तरह ठीक हो गए। अब मानव पर इसके प्रयोग से कितने दिनों में परिणाम मिलेगा इसका पता ट्रायल में चलेगा। इसके बाद लोगों को कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि कैंसर को खत्म करने वाला सिरप बनेगा।

AIIMS BHOPAL के जैव रसायन विभाग में रिसर्च चल रही है

एम्स में कैंसर की दवा खोजने की दिशा में बेहतर काम हो रहा है। इसके लिए जैव रसायन विभाग में रिसर्च चल रही है। इसकी प्री ह्यूमन ट्रायल की तैयारियां चल रही है। हम विशेष तौर पर स्वदेशी दवा बनाने पर काम कर रहे हैं ताकि लोगों को कम दाम पर इलाज मुहैया कराया जा सके। -डॉ. अजय सिंह, डायरेक्टर, एम्स


इस तरह के डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहते हैं 

भारत में डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है परंतु हल्की सी खरोच पर प्लास्टर बांधने वाला, हर गर्भवती महिला का सिजेरियन ऑपरेशन करने वाला, सीने में गैस के दर्द को हार्ट अटैक बताने वाला डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप नहीं होता। एम्स भोपाल के डिपार्मेंट आफ बायोकेमेस्ट्री में जो लोग कैंसर का इलाज ढूंढ रहे हैं, ऐसे डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। 

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