भारतीय न्याय संहिता की धारा 84 एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498A में क्रूरता के अपराध के विषय में बताया गया है। यह एक गंभीर अपराध है। यह अपराध ज्यादातर विवाहित महिलाओं के साथ होता है, इसलिए कानून के यह अपराध को निरंतर लागू होने प्रक्रिया में रखा है, जानिए
अरुण व्यास बनाम सरिता व्यास वाद:- उक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभिनिर्धारित किया कि धारा 498A के स्पष्टीकरण के साथ पठित इस धारा में दी गई क्रूरता की परिभाषा से स्पष्ट होता है कि इसे एक निरंतर लागू अपराध माना गया है। अतः प्रत्येक बार जब भी पत्नी या किसी महिला के साथ उसका पति या पति के रिश्तेदार क्रूरता का व्यवहार करते हैं, तब यह अपराध दर्ज करने की परिसीमा उसी दिन से लागू होगी अर्थात महिला के साथ अभी या किसी उम्र में कोई पति क्रूरता करता है वह थाने में या न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास इसकी शिकायत कर सकती है।
अपराध का परिसीमा काल क्या है जानिए :-
नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 516 एवं भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 468 के अनुसार :-
1. अगर कोई अपराध जुर्माने से दण्डित है तब उसकी शिकायत 06 माह के भीतर मजिस्ट्रेट या पुलिस थाने में की जा सकती है
2. अगर कोई अपराध 06 माह से 01 वर्ष की कारावास से दण्डनीय है, तब इस अपराध की शिकायत एक वर्ष के भीतर मजिस्ट्रेट या पुलिस थाने में की जा सकती है।
3. अगर कोई अपराध एक वर्ष से तीन वर्ष तक के कारावास से दण्डनीय है तब इस अपराध की शिकायत तीन वर्ष के भीतर मजिस्ट्रेट या पुलिस थाने में की जा सकती है।
तीन वर्ष से अधिक कठोर कारावास या आजीवन कारावास, मृत्युदंड के अपराध की शिकायत कभी भी मजिस्ट्रेट या पुलिस थाने में की जा सकती है।
लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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