मध्य प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में रिक्त पदों के विरुद्ध वर्षों से सेवा देने वाले अतिथि विद्वानों के दिन बहुरने वाले है। इसकी सुगबुगाहट शुरू हो गई है। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने इस बात के संकेत दिए हैं।
अतिथि विद्वान महासंघ का एक प्रतिनिधिमंडल उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल स मिलकर उनका स्वागत किया एवं अपनी मांग रखी। जिस उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि अतिथि विद्वानों के बेहतर सेवा का फ़ल जल्द मिलेगा। मुख्यमंत्री जी काफ़ी संवेदनशील है आप लोगो के लिए सरकार रास्ता निकाल रही है। प्रतिनिधिमंडल में जिलाध्यक्ष डॉ पुष्पराज सिंह,डॉ प्रमोद तिवारी,डॉ के के शुक्ला,डॉ आशीष पांडेय,डॉ करुणाशंकर मिश्र,डॉ विकास पांडेय,डॉ संतोष तिवारी,डॉ प्रवीण,डॉ राहुल शामिल रहे।
मुख्यमंत्री भी एक इंटरव्यू में अतिथि विद्वानों के संविलियन का बोल चुके हैं
अभी हाल ही में सूबे के मुखिया डॉ मोहन यादव ने भी अतिथि विद्वानों के संविलियन के लिए बोल चुके हैं।डॉ यादव ने स्पष्ट कहा था कि अतिथि विद्वानों के साथ अभी तक न्याय नही हो पाया है,नई सरकार नए विजन के साथ अतिथि विद्वानों का संविलियन करके भविष्य सुरक्षित करेगी लोकसभा चुनाव के बाद।इससे ये लग रहा है कि अतिथि विद्वानों के वर्षो के संघर्ष का फ़ल अब मिलने वाला है।अतिथि विद्वानों के महापंचायत की भी एक भी लाइन पूरी नही हुई जिसके कारण विद्वान अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।
कॉलेज एडमिशन से लेकर एफीलिएशन तक सब कुछ अतिथि विद्वान करते हैं
डॉ आशीष पांडेय,मीडिया प्रभारी अतिथि विद्वान महासंघ का कहना है कि, प्रवेश, परीक्षा, प्रबंधन, मूल्यांकन, अध्यापन, नैक, रूसा आदि समस्त कार्य अतिथि विद्वान करते हैं। 25 वर्षो का अनुभव एवं यूजीसी योग्यता रखते हैं।मुख्यमंत्री,उपमुख्यमंत्री,मंत्री सब बोल चुके हैं कि अतिथि विद्वानों के दम पर ही सरकारी महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं लेकिन फिर भी भविष्य सुरक्षित नहीं।सरकार एवं शीर्ष अधिकारियों से निवेदन है कि फ़िक्स वेतन एवं नियमितीकरण कर अतिथि विद्वानों को आशीर्वाद दें।
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