मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। इस मामले में मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के चाणक्य श्री दिग्विजय सिंह, चंद्रगुप्त श्री जीतू पटवारी और श्री दिग्विजय सिंह से माफी मांग कर विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बने श्री उमंग सिंघार ने अलग-अलग बयान जारी किए हैं।
सुरेश पचौरी मामले में दिग्विजय सिंह की दलील
सुरेश, भला 50 साल का रिश्ता भी कोई यूं तोड़ता है.. आपको तो संघर्ष के दिनों में संबल बनकर साथ खड़ा होना था। क्या धर्म यह नहीं सिखाता कि अपनों के सुख-दुख में साथ रहें? राम मंदिर में आस्था उचित है लेकिन राम की मर्यादा को क्यों भूल गए? सच का साथ देने के लिए संघर्ष के पथ पर निःस्वार्थ चलने की सीख ही राम के प्रति सच्ची आस्था होती। बाक़ी सब स्वार्थ है।
श्री राहुल गांधी और श्री प्रियंका गांधी को Tag करते हुए श्री दिग्विजय सिंह ने लिखा कि, जिस नेहरू गांधी परिवार की बदौलत आपने समाज में नाम और सम्मान कमाया, उसे बेगाना कर गए। वह भी उनके लिए जिनके खिलाफ हम सब ने सारी लड़ाई लड़ी। अब बीजेपी कह रही है कि आप उनके ही थे और घर वापस लौट रहे हैं। ख़ैर आप जो भी करें.. मगर राम के नाम पर न करें। यह राम की सीख तो नहीं है।
उमंग सिंघार ने पुराने पत्ते और जीतू पटवारी ने कहा भार उतरा
इस घटनाक्रम पर पत्रकारों को प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में बुलाकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि, पुराने पत्तों के झड़ने से पेड़ पर कोई फर्क नहीं पड़ता। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि, नेता जाते हैं वोट नहीं जाते। भगवान का भला करें। भार उतरा।
राम मंदिर का शिलान्यास हमने किया था, निमंत्रण क्यों ठुकराया - सुरेश पचौरी
पचौरी ने कहा, भगवान श्रीराम जी की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन रहा तो इसके निमंत्रण पत्र को अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर ठुकरा दिया गया। मुझे आघात पहुंचा। मैं अयोध्या में राम मंदिर बनने का पक्षधर शुरू से रहा हूं। निमंत्रण पत्र को अस्वीकार करने की आवश्यकता नहीं थी। मैं स्वामी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी का दीक्षित शिष्य हूं।
पचौरी ने कहा, मुझे तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने भेजा कि शंकराचार्य जी से पूछकर आओ क्या करना है। तो उन्होंने कहा- अयोध्या में शिलान्यास हो और मंदिर बने। सितंबर 1999 में राजीव ने जवाब दिया कि तदानुसार काम हो। फिर हम तत्कालीन गृहमंत्री के साथ गए और वहां शिलान्यास किया। वहां अशोक सिंघल जी थे। फिर अब निमंत्रण पत्र अस्वीकार करने की आवश्यकता कहां से पड़ गई। राम मंदिर का ताला खुलना, शिलान्यास होना किस कार्यकाल में हुआ, बोला जा सकता था।
राहुल गांधी की जात की बात से जातीय संघर्ष बढ़ रहा
सुरेश पचौरी ने कहा, कैलाश विजयवर्गीय से हमें मंत्र सीखना है कि चुनाव लड़ें तो जीता कैसे जाता है। मेरा ध्येय समाज सेवा और राष्ट्र सेवा का था। कांग्रेस में एक नारा लगा था, न जात का न पात का, लेकिन कांग्रेस में ये नारा दरकिनार कर दिया गया है। आज जाति की बात हो रही है। इससे जातीय संघर्ष बढ़ रहा है। पिछले दिनों में जो राजनीतिक और धार्मिक निर्णय हो रहे हैं, वो दुखी करने वाले हो रहे हैं।
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