मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी में प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के पद पर हुई नियुक्तियों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। दोनों नेताओं को हैंडसम लेकिन पद के अयोग्य बताया जा रहा है। इसका ताजा प्रमाण यह है कि मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति हो गई और नेता प्रतिपक्ष को पता तक नहीं चला। नेता प्रतिपक्ष ने नियुक्ति पर सवाल उठाया तो खेल मंत्री का जवाब देकर खेल खत्म कर दिया।
मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति और विवाद
दिनांक 10 मार्च 2024 को मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने सूचना दी कि राज्यपाल महोदय ने न्यायमूर्ति श्री सत्येंद्र कुमार सिंह को मध्य प्रदेश का लोकायुक्त नियुक्त किया है। इसके बाद जानकारी मिली कि आज ही शपथ ग्रहण समारोह भी हो जाएगा। नियमानुसार लोकायुक्त की नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष की सहमति अनिवार्य होती है परंतु यह नियुक्ति नेता प्रतिपक्ष नियुक्त सहमति के बिना कर दी गई। नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार ने बयान जारी किया कि यह नियुक्ति उनकी जानकारी के बिना हुई है। यानी नियुक्ति अवैध है। मध्य प्रदेश सरकार के खेल मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि, नेता प्रतिपक्ष को लिखित सूचना दी गई थी। उन्होंने कोई आपत्ति नहीं उठाई इसलिए नियुक्ति कर दी गई।
नेता प्रतिपक्ष कमजोर हो तो ऐसा ही होता है
लोकतंत्र की मजबूती सरकार के दृढ़ संकल्प पर निर्भर नहीं करती बल्कि विपक्षी पार्टी के संघर्ष पर निर्भर करती है। यदि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में, नेता प्रतिपक्ष की उपस्थिति के बिना लोकायुक्त का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हो गया है तो इसके पीछे नेता प्रतिपक्ष की कमजोरी जिम्मेदार है, क्योंकि ऐसे मामलों में सरकार तो हमेशा एक तरफा फैसला लेने की कोशिश करती ही है। जब कांग्रेस सत्ता में थी तब कांग्रेस पार्टी भी ऐसा ही करती थी लेकिन भाजपा के नेता उसे ऐसा करने से रोक देते थे। श्री अजय सिंह राहुल जब नेता प्रतिपक्ष थे तब भी लोकायुक्त की नियुक्ति पर विवाद की स्थिति बनी थी और श्री अजय सिंह राहुल, श्री शिवराज सिंह चौहान जैसे मुख्यमंत्री पर भारी पड़ गए थे।
सरकार क्या प्लान कर रही है और अंदर ही अंदर कौन सा कागज कहां जा रहा है, किसकी मीटिंग किसके साथ हो रही है, यदि नेता प्रतिपक्ष को इतनी भी जानकारी नहीं है तो निश्चित रूप से उसे पद के अयोग्य कहा जाना चाहिए।
उमंग सिंघार को तो सरकार भी गंभीरता से नहीं लेती
खेल मंत्री श्री विश्वास कैलाश सारंग ने जिस प्रकार से नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के आरोप का जवाब दिया है। एकदम स्पष्ट हो जाता है कि मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव सरकार, नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार को कतई गंभीरता से नहीं लेती। यदि सरकार के मन में नेता प्रतिपक्ष के प्रति थोड़ा सा भी डर होता तो उनके बयान का जवाब मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में उपमुख्यमंत्री द्वारा दिया जाता। यदि कांग्रेस पार्टी की यही हालत रही तो अगली बार नेता प्रतिपक्ष के बयान का जवाब भाजपा के विधायक देंगे। ✒️ उपदेश अवस्थी।
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