भोपाल से गए बड़े अधिकारी को ग्वालियर हाईकोर्ट ने जमकर फटकारा, नालायक और अनपढ़ कहा - MP NEWS

Rakesh Rawat, Executive Engineer, Directorate Urban Administration and Development ग्वालियर हाई कोर्ट द्वारा तलब किए जाने पर माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हुए थे। उच्च न्यायालय द्वारा जब सवाल किए गए तो श्री राकेश रावत जवाब नहीं दे पाए। इसके बाद हाईकोर्ट ने उनका जमकर फटकार लगाई। उन्हें नालायक और अनपढ़ भी कहा। मामला ग्वालियर के स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट का है। 

राकेश रावत कार्यपालन यंत्री, कोर्ट के सवालों के जवाब नहीं दे पाए

ग्वालियर की स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने की मांग को लेकर मंगलवार को हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में सुनवाई हुई। 45 मिनट चली सुनवाई में नगरीय प्रशासन विभाग (भोपाल) के कार्यपालन यंत्री (एग्जीक्यूटिव इंजीनियर) राकेश रावत डिवीजन बेंच के ज्यादातर सवालों के जवाब नहीं दे सके। इस पर जस्टिस रोहित आर्या नाराज हो गए। उन्होंने अफसरों के खिलाफ तल्ख टि​प्पणियां कीं। उन्होंने अफसरों को नालायक, अनपढ़ और डफर तक कह डाला।

RAKESH RAWAT EE के लिए हाई कोर्ट की टिप्पणी - इंजीनियर हो कि अनपढ़ हो

जस्टिस आर्या ने कहा, 'मिस्टर, आप भोपाल से आए हो TA-DA लेकर। यहां का टाइप किया एफिडेविट लिया और कोर्ट में पेश कर दिया। अंदर क्या लिखा है, पढ़ने की कोशिश की। तुम्हें पढ़ना चाहिए। इंजीनियर हो कि अनपढ़ हो? अपर आयुक्त विजयराज को हटाकर तुम्हें प्रभारी अधिकारी (OIC) बनाया, किसी लायक समझा होगा न तुमको कि तुम भी उतने ही नालायक हो? तुम पुराने अधिकारियों की तरह नालायक ही हो। समझा पा नहीं रहे हो। ये नाम के इंजीनियर हैं, सब भूल गए भोपाल में बैठकर।'

जस्टिस आर्या ने कहा, 'किस बात की सरकार से तनख्वाह ले रहे हो, बाबूगीरी करने की या पोस्टमैन की तनख्वाह ले रहे हो। सच तो ये है कि तुम लोगों की काम करने की आदत ही बिगड़ गई है। सारा काम बाबूगीरी के आधार पर चलाते हो। फिर कोर्ट से डांट सुनते हो। अपने प्रशासन को बोलिए कि डफर को नहीं भेजें।'

अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने कोर्ट की मंशानुसार दस्तावेज पेश करने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 5 मार्च की तारीख दी। कोर्ट ने निगम को 2017 में सीवर लाइन बिछाने और दूसरे कामों के लिए मिली 173 करोड़ रुपए की राशि के बारे में विस्तार (सभी दस्तावेज के साथ) से जानकारी देने के लिए कहा है। सुनवाई के दौरान न्यायमित्र सीनियर एडवोकेट केएन गुप्ता और इंटरवीनर अवधेश सिंह तोमर मौजूद रहे। ग्वालियर नगर निगम, स्मार्ट सिटी ने भी कोर्ट में जवाब पेश किया।

अफसरों को बताओ कि अंग्रेजी नहीं आती तो एप से अनुवाद कर लें

कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी से कहा, 'मिस्टर मोदी, आप इनके साथ घर पर बैठकर होमवर्क क्यों नहीं करते? सरकारी काम है तो ऐसे ही चलेगा। जब आदेश लिखा जाता है तो कुछ उद्देश्य होता है। दो दिन पहले बुलाओ, समझो क्या है। होमवर्क कोर्ट में होगा? हम आपको सपोर्ट करते हैं, इसका मतलब ये नहीं कि कोई काम नहीं होगा। हमारी ऑर्डरशीट वेस्ट ऑफ पेपर नहीं है। जो लिखाते हैं, कुछ सोचकर लिखाते हैं। इन अफसरों को समझाओ, एक एप है। अंग्रेजी नहीं आती तो उससे अनुवाद करा लें।'

कोर्ट ने कहा, '5 मार्च की सुनवाई में निगम के वे सभी अधिकारी मौजूद रहें, जिन्होंने सीवर लाइन प्रोजेक्ट में सेवाएं दी हैं।'

दो अधिकारी बुलाने गए, तब आए कार्यपालन यंत्री

कोर्ट ने पूछा कि सीवर लाइन की डिटेल रिपोर्ट बनाने वाला अफसर यहां मौजूद है। उन्हें बताया गया कि रिपोर्ट कार्यपालन यंत्री ने बनाई है और वे कोर्ट परिसर में हैं। निगम अधिकारी उन्हें बुलाने गए। थोड़ी देर बाद जब वे नहीं लौटे तो एक अन्य अधिकारी बुलाने गए। करीब 4 मिनट बाद शुक्ला आए।

हर तारीख पर अफसरों को फटकार मिल रही है

ग्वालियर की स्वर्ण रेखा नदी के लिए हाईकोर्ट के अधिवक्ता विश्वजीत रतोनिया ने जनहित याचिका दायर की है। इससे पहले भी सुनवाई के दौरान कोर्ट नगर निगम कमिश्नर, स्मार्ट सिटी की सीईओ सहित कई अधिकारियों को फटकार लगा चुकी है। इससे पहले नगर निगम की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया था। इसमें लापरवाही और गलतियों पर कोर्ट ने नाराज होते हुए अफसरों को आड़े हाथ लिया था। हर सुनवाई पर अफसरों को फटकार मिल रही है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में फटकार लगते हुए कहा था, 'नगर निगम और उसके द्वारा पेश किए जा रहे शपथपत्र न्यायालय का समय खराब कर रहे हैं। टेलिफोनिक चर्चा के आधार पर ही स्वर्ण रेखा नदी प्रोजेक्ट को लेकर रिपोर्ट पेश कर दी जाती है। यह गलत तरीका है।'

स्वर्ण रेखा प्रोजेक्ट से जुड़े सभी नोडल हाई कोर्ट में हाजिर होंगे

स्वर्ण रेखा नदी मामले में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने कहा है कि साल 2017 से लेकर अब तक स्वर्ण रेखा प्रोजेक्ट से जुड़े सभी नोडल अधिकारियों को अगली सुनवाई 5 मार्च को कोर्ट में हाजिर किया जाए। लाइन बिछाने के नाम पर 173 करोड़ रुपए पर फर्जीवाड़ा हुआ है। किस वार्ड में कितना काम हुआ है, डिटेल रिपोर्ट दो, अब डिटेल ऑर्डर करूंगा। 

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