MP NEWS - हाई कोर्ट ने 9 दोषी अफसरों को सजा नहीं सुनाई, पक्ष रखने का मौका दिया

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल गैस कांड मामले में अवमानना के दोषी 9 अफसरों को सजा सुनाए जाने का फैसला टाल दिया है। कोर्ट ने कहा, 'दोषी अफसरों की ओर से हाईकोर्ट में पुनर्विचार का आवेदन लगाया गया है। फैसले से पहले इस पर सुनवाई जरूरी है।' मामले में अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी। केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार के इन 9 अफसरों को भोपाल गैस पीड़ितों के इलाज और पुनर्वास से जुड़े कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने का दोषी पाया गया है। इस मामले में बुधवार को सजा सुनाई जानी थी। जबलपुर हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट नमन नागरथ ने बताया कि बुधवार को सुनवाई के दौरान अफसरों ने कोर्ट में पुनर्विचार आवेदन दिया। इसमें अफसरों ने कहा कि मामले में सजा सुनाए जाने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए। ये दलील कोर्ट ने मंजूर कर ली।

भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन की याचिका

सर्वाेच्च न्यायालय ने 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे। इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किए थे। मॉनिटरिंग कमेटी को प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए गए थे। इस रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट को केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने को कहा गया था। इसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा था। याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं करने के खिलाफ भी उक्त अवमानना याचिका 2015 में दायर की गई थी।

मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट में से सिर्फ तीन बिंदुओं का कार्य हुआ

अवमानना याचिका में कहा गया कि गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं। अस्पतालों में आवश्यकतानुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। बीएमएचआरसी के भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं। मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बिंदुओं में से सिर्फ तीन बिंदुओं का कार्य हुआ है। इस कारण पीड़ितों को उपचार के लिए भटकना पड रहा है। मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का पालन नहीं किया जा रहा है। 

हाई कोर्ट का फैसला पढ़िए

युगल पीठ ने 28 नवम्बर को पूर्व में पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि आदेश के बावजूद भी मॉनिटरिंग कमेटी को स्टेनोग्राफर तक उपलब्ध नहीं करवाया गया है। बीएमएचआरसी को एम्स में नहीं तब्दील किया गया। युगल पीठ ने बीएमएचआरसी के लिए स्वीकृत 1247 पदों में 498 पद रिक्त हैं। युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इन अधिकारियों ने गैस पीड़ितों को बेसहारा छोड दिया है।

न्यायालय की अवमानना के दोषी अधिकारियों की लिस्ट

  1. राजेश भूषण आईएएस : सचिव, मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, नई दिल्ली
  2. आरती आहूजा आईएएस : सचिव, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, नई दिल्ली
  3. डॉ. प्रभा देशिकन : तत्कालीन डायरेक्टर, भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, भोपाल
  4. डॉ. आरआर तिवारी : डायरेक्टर, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन इनवायर्मेंटल हेल्थ, भोपाल
  5. इकबाल सिंह बैस आईएएस : तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी, मध्यप्रदेश
  6. मोहम्मद सुलेमान आईएएस: अतिरिक्त मुख्य सचिव, लोक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण एवं भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास, भोपाल
  7. अमर कुमार सिन्हा : राज्य सूचना अधिकारी, भोपाल
  8. विनोद विश्वकर्मा : एनआईसीएसआई, नई दिल्ली
  9. आर. रामा कृष्णनन : सीनियर डिप्टी डायरेक्टर, आईसीएमआर, नई दिल्ली

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