Legal general knowledge and law study notes
भारत में सभी नागरिकों को सभी धार्मिक स्थलों में प्रवेश करने की अनुमति है परंतु यदि कोई व्यक्ति किसी धार्मिक स्थल की मान्यता के विपरीत कोई ऐसा कृत्य करता है, जिससे उस धार्मिक स्थल के संचालक यह मानते हैं कि, धार्मिक स्थल अपवित्र हो गया है। भारतीय दंड संहिता में ऐसे व्यक्ति के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 295 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी उपासना स्थान या व्यक्तियों के विशेष माने जाने वाले धर्म की कोई वस्तु, मूर्ति, को नष्ट या अपवित्र करेगा, नुकसान करेगा, नाश करेगा वह व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता की धारा 295 के अंतर्गत दोषी घोषित किया जाकर दंडित किया जाएगा।
विशेष नोट:- सिविल राईट अधिनियम, 1986 की धारा 03 के अनुसार सभी हिंदुओं को सार्वजनिक पूजा स्थल में प्रवेश के लिए समान अधिकार प्राप्त है, इसलिए कोई गैर-ब्राह्मण या अनुसूचित जाति जनजाति के नागरिक को मंदिर के किसी भी भाग में जाने से नहीं रोका जा सकता है।
Indian Penal Code, 1860 section 295 Punishment
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं। इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 , इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com