MP NEWS - भोपाल सहित मध्य प्रदेश के कई जिलों में भूकंप के झटके, आधी रात को जमीन में कंपन

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित कई जिलों में शुक्रवार की रात 11:30 बजे अचानक जमीन में कंपन शुरू हो गया। यह काफी कमजोर था इसलिए लोग समझ नहीं पाए। सुबह मौसम विभाग ने बताया कि, रात में हुई घटना भूकंप के झटके थे। 

मध्य प्रदेश के इन जिलों में भूकंप से बर्तन गिरे

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा एवं सतना में भूकंप के कंपन के कारण एकाद स्थान पर बर्तन गिरने की खबर मिली है। भोपाल मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक इसका केंद्र नेपाल था। शुक्रवार रात नेपाल में 6 दशमलव 4 तीव्रता का भूकंप दर्ज हुआ, जिसका हाईपोसेंटर 10 किमी गहराई पर था। इसके असर के चलते मध्य प्रदेश के भी कई शहरों में भूकंप का कंपन महसूस किया गया। हालांकि कहीं से भी जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।

मौसम केंद्र भोपाल के फोरकास्ट इंचार्ज वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि भोपाल में नए शहर, पुराने शहर, कोलार, भेल टाउनशिप समेत कई प्रमुख इलाकों में लोगों ने रात 11:30 बजे के बाद भूकंप के झटके महसूस किए। ग्वालियर में कई बिल्डिंगों से लोग सड़कों पर निकल आए। जबलपुर में भूकंप की तीव्रता 3.6 मापी गई है। रीवा, आगर-मालवा और मुरैना में भी कंपन महसूस की गई।

सतना की विराट नगर कॉलोनी में रहने वाले अंबुज द्विवेदी ने बताया कि वे अपने घर की ऊपरी मंजिल के कमरे में थे, तभी कंपन महसूस हुई। खिड़कियों के कांच देखे तो समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। जिले के बम्हनगवां के रहने वाले आदित्य ने बताया कि वे पढ़ाई कर रहे थे, तभी लगा जैसे उनकी कुर्सी कोई हिला रहा है, लेकिन कुछ ही सेकंड बाद हलचल बंद हो गई।

मध्य प्रदेश के कितने जिलों में भूकंप का खतरा है 

भारत को भूकंप के खतरों के आधार पर 4 ZONE में बांटा गया है। इसमें ZONE-2 से लेकर ZONE-5 तक के क्षेत्र में भूकंप का खतरा अधिक माना जाता है। मध्य प्रदेश के 10 जिले (बालाघाट, छिंदवाड़ा, दमोह, ग्वालियर, गुना, होशंगाबाद, कटनी, मंडला, सागर, सिवनी, शहडोल, उमरिया, जबलपुर) ZONE-2 में आते हैं। यहां भूकंप का सबसे अधिक खतरा है। इसके अलावा नर्मदा घाटी वाले 6 जिले (डिंडोरी, नरसिंहपुर, नर्मदापुरम, हरदा, खंडवा, खरगौन) ZONE-3 लिस्ट में शामिल किए गए हैं। यहां नर्मदा घाटी के कारण, मनुष्य द्वारा बनाई गई गहरी खदानों के कारण, और प्राकृतिक रूप से मूसलाधार वर्षा के बाद भूकंप का खतरा बढ़ जाता है। 

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