नवरात्रि कन्या भोजन में लड़कियों को क्या खिलाएं - What to feed Navratri kanya Bhojan

नवरात्रि कन्या भोजन में 12 वर्ष से कम आयु की लड़कियों को माता का स्वरूप मानकर भोजन के लिए आमंत्रित किया जाता है। मान्यता है कि यदि कन्या भोज में आई लड़कियों के चेहरे पर प्रसन्नता और संतोष का भाव दिखाई दिया तो मानो माता प्रसन्न हो गई है। इस लालच में कई लोग लड़कियों को कन्या भोज में मैगी और पास्ता देने लगे है। इसलिए आज हम आपको बताते हैं कि नवरात्रि के नौ दिनों में माता की पूजन के बाद उनको प्रसन्न करने के लिए आयोजित कन्या भोज में आमंत्रित लड़कियों को क्या खाद्य पदार्थ खिलाना चाहिए। 

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  • पूड़ी - मां दुर्गा के भोग में पूड़ी अनिवार्य रूप से शामिल होती है इसलिए कन्या भोजन में पूड़ी अनिवार्य है। एक पूड़ी अथवा पूड़ी का एक टुकड़ा ही काफी है लेकिन कन्या भोज में पूड़ी को शामिल करें। 
  • हलवा - मां दुर्गा के भोग में हलवा भी अनिवार्य रूप से शामिल होता है। इसलिए हलवा को कन्या भोजन में भी शामिल किया जाता है। इसकी मात्रा महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि इसका थाली में होना अनिवार्य है। 
  • खीर - मां दुर्गा को खीर प्रिय है। इसलिए उनके भोग में खीर की कटोरी हमेशा होती है। और जो मां दुर्गा को प्रिय है वही कन्याओं को भोजन के रूप में परोसा जाता है। 
  • काले चने - काले चने अत्यंत पौष्टिक होते हैं। यही कारण है कैसे कन्या भोज में शामिल किया जाता है। इसके कारण लड़कियों को भरपूर मात्रा में पोषण मिलता है। 
  • फल - कन्या भोज में फल को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए। मां दुर्गा के भोग में भी फल शामिल किए जाते हैं। 

कन्या भोज में किन चीजों का उपयोग नहीं होना चाहिए 

मां दुर्गा के भोग में शामिल खाद्य पदार्थों के अलावा कन्या भोज में मौसम के अनुसार उपलब्ध सब्जियां, दाल, चावल एवं अन्य क्षेत्रीय व्यंजन शामिल किया जा सकते हैं। परंतु यह अनिवार्य होता है कि कोई भी खाद्य पदार्थ ऐसा नहीं होना चाहिए जो स्वास्थ्य के लिए तनिक भी हानिकारक हो। कन्या भोज सात्विक होता है। इसमें प्याज एवं लहसुन इत्यादि का प्रयोग कठोरता पूर्वक वर्जित किया गया है। 

कन्या भोजन के लिए शास्त्रों के अनुसार दिशा निर्देश 

  • भोजन ताज एवं साफ-सुथरा होना चाहिए। 
  • भले ही कन्या भोज की थाली कितनी भी छोटी हो परंतु गुणवत्ता से समझौता नहीं होना चाहिए। 
  • यदि कन्या भोज में मां दुर्गा का पूरा भोग संभव न हो तो केवल हलवा पूरी से भी माता प्रसन्न हो जाती है। 
  • कन्या भोजन में आने वाली कन्याओं की सेवा करना चाहिए। 
  • कन्या भोजन में आने वाली लड़कियों को अपने हाथों से भोजन कराएं। 
  • कन्या भोजन एक प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है, इससे घर में सुख समृद्धि और शांति का वास होता है। 

उद्घोषणा- उपरोक्त जानकारी एवं दिशा निर्देश भारतीय शास्त्रों, मान्यताओं एवं परंपराओं पर आधारित है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न मान्यताएं हो सकती हैं अतः कृपया उपरोक्त का पालन करने से पहले अपने फैमिली पंडित अथवा वरिष्ठ सदस्यों से परामर्श अवश्य करें।

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