Madhya Pradesh Government employees rules and law
शासकीय कार्यालयों में अक्सर अधिकारी एवं कर्मचारी कार्यालयीन समय में अपने कर्तव्य पर उपस्थित नहीं होते। सवाल करने पर, बेतुका जवाब दिया जाता है। यदि आप नेता या पत्रकार हैं और कलेक्टर आदि वरिष्ठ अधिकारी के सामने लापरवाह कर्मचारी को ट्रैप करा देते हैं तब भी, कलेक्टर आदि वरिष्ठ अधिकारी उस कर्मचारी का मात्र 1 दिन का वेतन काटते हैं परंतु यदि आपको इस कानून के बारे में जानकारी है तो ना केवल लापरवाह कर्मचारी के पसीने छूट जाएंगे बल्कि कलेक्टर आदि वरिष्ठ अधिकारियों का भी आपके प्रति नजरिया बदल जाएगा।
मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम,1982 की धारा 36 की परिभाषा
जो कोई अधिकारी होते हुए उस कालावधि के लिए जानबूझकर आपने कर्तव्य से अनुपस्थित रहता है अर्थात बिना आकस्मिक छुट्टी लेना, बिना बजह के छुट्टी लेना, झूठ बोलकर छुट्टी पर जाना, तथ्यों को छुपा कर अनुपस्थित रहना, कुलमिलाकर कर्तव्य पालन में सरकार से छल करता है उसे अधिनियम की धारा 34 के अंतर्गत दोषी होगा।
Madhya Pradesh Specified Corrupt Practices Prevention Act, 1982 Section 36 punishment
यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध हैं लेकिन अधिकारी पर मामला दर्ज करने से पहले सक्षम उच्च अधिकारी या समुचित सरकार से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है। इनकी सुनवाते किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा इस अपराध के लिए अधिकतम एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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