हिंदी भाषा में एक मुहावरा है, सिर मुड़ाते ही ओले पड़े। मध्य प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा मामले में यह 100% सटीक बैठता है। नियुक्ति की मांग कर रहे उम्मीदवारों ने 1 दिन पहले ही मुंडन करवाया था। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया। जो कल तक सरकार की ईट से ईट बजा रहे थे, आज उनकी नहीं मिल गई है।
प्राथमिक शिक्षक मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरल हिंदी में
मामला प्राथमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए निर्धारित न्यूनतम योग्यता का है। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के डिसीजन के खिलाफ कैंडिडेट द्वारा प्रस्तुत की गई चुनौती याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुनाया कि BEd डिग्री वाले उम्मीदवारों को प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति देना गलत है। यह अयोग्य व्यक्ति को नियुक्ति देने जैसा है, क्योंकि BEd की डिग्री में कक्षा 1-5 तक के बच्चों को प्रशिक्षित करना नहीं सिखाया जाता। इसलिए वह प्राइमरी स्कूल में टीचर के पद के योग्य नहीं है। बहस के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि DElEd और BEd डिग्री कोर्स में बिल्कुल उतना ही अंतर है जितना BEd और PHd में है। पीएचडी वाले कैंडीडेट्स कॉलेज में प्रोफेसर बन सकते हैं परंतु बिना B.Ed केवल पीएचडी के आधार पर माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक नहीं बन सकते।
मुंडन और बूट पॉलिश के बाद दबाव में थी सरकार
राज्य शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार अपनी बात पर अड़े हुए थे। उनका कहना था कि 50,000 रिक्त भर्ती नहीं करूंगा। नई भर्ती के लिए नई परीक्षा कराऊंगा। काउंसलिंग का तीसरा राउंड नहीं होगा। इधर कैंडिडेट भी अपनी मांग पर अड़े हुए थे। 2 महीने से लोक शिक्षण संचालनालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। चुनावी माहौल होने के कारण अतिरिक्त सपोर्ट भी मिल रहा था। 2 दिन पहले ही प्रदर्शनकारियों ने नई रणनीति के तहत प्रदर्शन शुरू किया था। सबसे पहले दिन कुछ उम्मीदवारों ने मुंडन करवाया। दूसरे दिन महिला उम्मीदवारों ने जूते पॉलिश किए। यह दोनों चित्र सरकार को तनाव दे रहे थे, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन आ गया है। फिलहाल सब कुछ तितर-बितर सा दिखाई दे रहा है।
50,000 रिक्त पदों पर नियुक्ति दूसरा मुद्दा है। जिन 15000 पदों पर BEd वालों की नियुक्ति हो गई है, सरकार परेशान है कि उन्हें कैसे बचाएं। इधर प्रदर्शनकारियों में से BEd वालों को बिस्तर बांधना पड़ेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर नहीं सकते। अपील कर सकते हैं और उसके लिए वकील चाहिए। समाचार लिखे जाने तक किसी भी वकील ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया जो प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में BEd वालों के लिए उम्मीद की कोई किरण बन जाए। शनिवार का दिन बड़ा भारी है, देखते हैं शाम तक क्या कुछ होता है।
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