माननीय उच्च न्यायालय इंदौर ने म.प्र. भण्डारण निगम के कर्मचारी अमीरुद्दीन अकोलावाला द्वारा दायर एक रिट याचिका में कोविड 19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन की अवधि के वेतन की वसूली के आदेश को रद्द कर दिया है। याचिका मुर्तुजा बोहरा एडवोकेट के माध्यम से दायर की गई है।
मुर्तुजा बोहरा एडवोकेट के अनुसार, नियोक्ता म.प्र. भण्डारण निगम ने अवैध रूप से और मनमाने ढंग से उस अवधि के लिए कर्मचारियों से वसूली का आदेश पारित किया है, जिसके दौरान प्रशासन द्वारा कोविड 19 महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन लगाया गया था। उक्त अवधि के दौरान देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था और यहां तक कि अधिकांश कर्मचारियों को शारीरिक रूप से उपस्थित होने से छूट दी गई थी। कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाजत दी गई।
इसके बावजूद कर्मचारी के कार्यालय में उपस्थित नहीं होने के आधार पर मनमाना एवं अनुचित आदेश पारित कर दिया गया। वेतन का अधिकार एक कर्मचारी का संवैधानिक अधिकार है और बिना किसी कारण के इससे इनकार करना अन्यायपूर्ण, अवैध और असंवैधानिक है। उच्च न्यायालय ने माना है कि कोविड- 19 अवधि के दौरान इस बात को लेकर काफी भ्रम था कि एक व्यक्ति क्या कर सकता है और लॉकडाउन के समय एक व्यक्ति क्या नहीं कर सकता क्योंकि यह एक अभूतपूर्व स्थिति थी जिसने देश को प्रभावित किया।
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