JAGRAN LAKECITY UNIVERSITY, BHOPAL से बड़ी खबर आ रही है। मादा टाइगर T-123 यूनिवर्सिटी कैंपस में कुलपति के चेंबर तक पहुंच गई। यहां उल्लेख करना अनिवार्य है कि मादा टाइगर, अपने और अपने पूरे परिवार के लिए शिकार करती है। जबकि नर टाइगर केवल आत्मरक्षा की स्थिति में अथवा अपनी टेरिटरी पर खतरा उत्पन्न होने की स्थिति में ही हमला करता है।
भोपाल के आसपास जंगलों में 18 टाइगर
भोपाल के डीएफओ आलोक पाठक ने बताया कि यूनिवर्सिटी की एक तरफ बाउंड्री वाल की ऊंचाई कम है। वहां से बाघिन अंदर आ गई, जो कुछ देर बाद वापस लौट गई। यूनिवर्सिटी प्रशासन को बाउंड्रीवाल की ऊंचाई बढ़ाने को कहा है। पाठक ने बताया कि कुछ दिन पहले टी-123 कलियासोत सड़क के पास लोगों को दिखाई दी थी। यह कलियासोत के जंगल में ही रहती है। पाठक ने बताया कि भोपाल से सटे एरिया में 17 से 18 बाघ है। हालांकि इसमें से अभी 7 बाघ का मूवमेंट है। इसमें शावक भी शामिल है।
टाइगर की टेरिटरी में कंस्ट्रक्शन इसलिए तनाव
वाइल्डलाइफ के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता श्री अजय दुबे का कहना है कि भोपाल में टाइगर की टेरिटरी में इंसानों ने अतिक्रमण कर लिया। उनकी मर्जी और अनुमति के खिलाफ उनके इलाके में कंस्ट्रक्शन किया गया है। यही कारण है कि बार-बार तनाव की बन रही है। श्री दुबे का कहना है कि जंगल पर पहला अधिकार वन्य प्राणियों का है। इंसान उन्हें खदेड़ कर विकास नहीं कर सकते। याद रहे कि कुछ समय पहले MANIT BHOPAL कैंपस में भी टाइगर आ गया था। इसके चलते कई दिनों तक MANIT बंद रहा था।
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