CPC 2/11- विधिक प्रतिनिधि क्या होता है, इसके अधिकार और कर्तव्य क्या है - Legal general knowledge

The definition of Section 2/11 of the Code of Civil Procedure, 1908

विधिक प्रतिनिधि एक ऐसा व्यक्ति होता है जो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का वारिस होता है एवं उसके समस्त कार्यो को उसकी मृत्यु के बाद देखता है। जब कोई व्यक्ति किसी सहकारी बैंकों से या निजी बैंकों से ऋण प्राप्त कर लेता है और ऋण लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तब उसके विधिक प्रतिनिधि के ऊपर ऋण चुकाने की जवाबदारी होती है जानिए कानून भाषा में इसे।

सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 02 की उपधारा 11 की परिभाषा

सिविल प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत निम्न व्यक्ति को व्यक्ति का विधिक प्रतिनिधि मना गया है जानिए:-
1. ऐसा कोई भी व्यक्ति जो मृतक व्यक्ति की संपत्ति में विधिक प्रतिनिधि हो अर्थात हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम के अंतर्गत पत्नी, पुत्र, पुत्री, माता पिता, भाई ,चाचा आदि जो मृतक व्यक्ति की संपत्ति में हस्तक्षेप करता है एवं मृतक व्यक्ति की और से वाद ला सकते हैं। कुलमिलाकर कहे तो जो व्यक्ति का संभावित उत्तराधिकारी होता है उसे हम विधिक प्रतिनिधि कहते हैं।

क्या विवाहित महिला दुर्घटना में मृतक पिता की संपत्ति की विधिक प्रतिनिधि हो सकती है जानिए

जब कोई पिता किसी मोटर वाहन में दुर्घटना का शिकार हो जाए तब उसकी एकमात्र पुत्री, विवाहित पुत्री उसकी विधिक प्रतिनिधि होगी जानिए महत्वपूर्ण जजमेंट
1. न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी बनाम अंतर्यामी पुरोहित एवं
2. श्रीमती जय मिनोचा बनाम विजय कुमार:- 
मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि विवाहित पुत्री आश्रित नहीं है। वह मोटर यान दुर्घटना के मामले में विधिक प्रतिनिधि के रूप में प्रतिकर पाने की हकदार होती है क्यूंकि वह मृतक पिता की संपत्ति की वारिस है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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