मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में टमाटर के दाम नीचे गिरना शुरू हो गए। पहले दिन टमाटर के मूल्य में ₹50 की गिरावट देखी गई। इसका मुख्य कारण है कि कर्नाटक से टमाटर की सप्लाई शुरू हो गई है। पहले दिन जैसे ही करौंद मंडी में कर्नाटक के टमाटर से भरे हुए ट्रक आए, दाम गिरना शुरू हो गए।
भोपाल में लाल टमाटर से काली कमाई
उल्लेखनीय है कि करौंद मंडी में 400 टन की डिमांड है जबकि सप्लाई केवल 100 टन की चल रही थी। इसके कारण टमाटर के दामों में उछाल आने लगा था। जमाखोरों ने भी मौके का फायदा उठाना शुरू कर दिया था। वैसे टमाटर को ज्यादा समय तक स्टॉक नहीं कर सकते परंतु जब टमाटर की कीमत ₹100 से अधिक हो गई तो उसकी जमाखोरी करके ब्लैक मार्केटिंग करने की कोशिश भी की गई। पिछले 1 सप्ताह में कुछ लोगों ने लाल टमाटर से बड़ी मात्रा में काली कमाई की है। इन्हीं के कारण टमाटर के दाम ₹200 तक पहुंच गए थे। चुनाव के दबाव के चलते, सरकार और प्रशासन इस तरफ ध्यान ही नहीं दे पाई।
कारोबारियों ने बताया कि भारत में टमाटर की कुल डिमांड का 14% मध्यप्रदेश में पैदा होता है। बारिश के मौसम में टमाटर की फसल नहीं होती। इसलिए हमेशा टमाटर महंगा हो जाता है। इस बार कुछ ज्यादा महंगा हो गया। यह समस्या बस 1 महीने की और बची है। जैसे ही नई फसल आ जाएगी, टमाटर के दाम वापस ₹10 किलो पर आ जाएंगे। कर्नाटक से सप्लाई आने के कारण भोपाल में टमाटर के दाम नीचे आना शुरू हो गए हैं और आने वाले दिनों में ₹100 के नीचे चले जाएंगे।
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