Bhopal Samachar Rojgar
मध्यप्रदेश में चपरासी की नौकरी प्राप्त करने के लिए पीएचडी होल्डर आवेदन करते हैं लेकिन इसी मध्यप्रदेश में दो जनजाति ऐसी है जो दरवाजे पर चल कर आई सरकारी नौकरी भी लेने को तैयार नहीं। वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड के 372 वैकेंसी आउट की थी। केवल अप्लाई करना था और जॉब कन्फर्म थी। लड़कों ने आवेदन तक नहीं किया।
मध्य प्रदेश की दो जनजातियां जहां कोई सरकारी नौकरी नहीं चाहता
मध्य प्रदेश शासन के वन विभाग ने विशेष भर्ती अभियान के तहत मप्र की विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग (सहरिया और भारिया जनजाति) के बेरोजगार युवाओं के लिए 372 वनरक्षक पद के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। इस भर्ती में न तो कोई शैक्षणिक योग्यता की शर्त थी और न ही कोई लिखित परीक्षा होनी थी। बस केवल जाति प्रमाण पत्र के आधार पर विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के युवाओं को वनरक्षक के पद पर भर्ती करना था।
विज्ञापन भ्रमित करने वाला था इसलिए 65000 युवाओं ने आवेदन कर दिए लेकिन जैसे ही स्थिति स्पष्ट हुई सारी भीड़ कपूर की तरह हवा में गायब हो गई। 372 रिक्त पदों के विरुद्ध मात्र 100 युवा बचे। इसमें से भी 95 ने नौकरी करना स्वीकार किया। बाकी 5 हाथ में आया नियुक्ति पत्र छोड़ कर चले गए।
विश्वास नहीं हो रहा 100 पदों पर भी नियुक्ति नहीं हो पाई
मुझे स्वयं विश्वास नहीं हो रहा था कि विशेष पिछड़ी जनजातीय वर्ग के युवाओं में बेरोजगारों की संख्या इतनी कम है कि 100 वनरक्षक भी नहीं मिल पाएंगे। या फिर यह हो सकता है कि इस वर्ग के युवा वनरक्षक बनना नहीं चाहते होंगे। आवेदन तो बड़ी संख्या में आए थे किंतु जब वे नहीं आए तो लगा कि अधिकतर आवेदनकर्ता के पास विशेष पिछड़ी जनजाति के जाति प्रमाण पत्र नहीं होंगे।
हरिशंकर मोहंता, APCCF प्रशासन-दो