CrPC section 335 sub section 1 rule b
जब किसी पागल व्यक्ति को न्यायालय दोषमुक्त कर देता है तो यह मजिस्ट्रेट के विवेक पर निर्भर करता है की पागल व्यक्ति को पागलखाने भेजना है या उसके किसी मित्र का नातेदार को सौपना हैं क्योंकि पागल व्यक्ति की उचित जिम्मेदारी भी रखना अति आवश्यक होती है जानिए जब पागल व्यक्ति को मित्र या नातेदार को सौपा जाता है तब क्या कानूनी नियम होते हैं।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 335 की परिभाषा
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 335 की उपधारा (1) का नियम ख कहता है की मजिस्ट्रेट पागल व्यक्ति को उसके किसी दोस्त या नातेदार को सौपने का आदेश दे सकता है जो उक्त धारा के उपधारा (3) के निम्न नियमो के अनुसार होगा जानिए:-
(क). नातेदार या दोस्त की जिम्मेदारी होगी कि वह पागल व्यक्ति की देख रेख करेगा एवं वह स्वयं को या किसी अन्य व्यक्ति को क्षति नहीं पहुचाएगा।
(ख). जब कभी भी पागल व्यक्ति को कोई अधिकारी या डॉक्टर या निरीक्षण बुलाएंगे उसके समक्ष हाजिर करना होगा।
उपरोक्त शर्तो के आधार पर पागल व्यक्ति को दोस्त या रिश्तेदार की निगरानी में भेज दिया जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com