CrPC धारा 335 उपधारा 1 नियम क: मानसिक विक्षिप्त अपराधी को कहां रखा जाता है, पढ़िए

Bhopal Samachar

CrPC section 335 sub section 1 rule a

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा में स्पष्ट बताया गया है की अगर कोई मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति कोई अपराध कर देता है तो न्यायालय उसे दोषमुक्त कर देगा क्योंकि मानसिक विक्षिप्तता के कारण उसे पता ही नहीं था कि वह अपराध कर रहा है परंतु प्रश्न है कि यदि उसे समाज में खुला छोड़ दिया गया तो वह फिर से अपराध कर कर सकता है। ऐसी स्थिति में न्यायालय द्वारा दोषमुक्त किए जाने के बाद मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति को घर और जेल के अलावा कहां भेजा जा सकता है। जानिए:-

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 335 की परिभाषा

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 335 उपधारा (1) का (क) नियम कहता है कि अगर निर्णय के बाद मजिस्ट्रेट को लगता है कि पागल व्यक्ति को अभिरक्षा में रखा जाना ठीक हैं तो उसे भारतीय पागलपन अधिनियम,1912 की धारा 24 के नियमो के अधीन पागलखाने में इलाज के लिए रखा जाएगा न की उसे जमानत पर घर भेजा जाएगा।

अर्थात पागल व्यक्ति अपराध के समय से अभी तक स्वस्थ नहीं हुआ है तो उसे दोषमुक्ति के बाद भी अभिरक्षा में निरोध (बंदी) रखा जाएगा। उसे सजा नहीं भुगतनी होगी परंतु मानसिक रूप से स्वस्थ होने तक उसे स्वतंत्र नहीं किया जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

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