Article 47- भारत में बच्चों को पोषण आहार, सरकार की कृपा या बच्चों का अधिकार, यहां पढ़िए

भारत के संविधान में निर्धारित किया गया है कि सरकार भारत के नागरिकों की हर स्थिति में रक्षा करेगी और संरक्षण करेगी। संविधान में सभी परिस्थितियों का वर्णन भी किया गया। अनुच्छेद 21 में दैहिक स्वतंत्रता और अनुच्छेद 41 में नागरिकों को रोजगार के लिए सरकार को निर्देशित किया गया है परंतु कई बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका जीवन स्तर काफी निम्न बना रहता है और इसके कारण उन्हें पता ही नहीं होता कि जीवन में विकास कैसे किया जा सकता है। संविधान ने यह भी निर्धारित किया है कि सरकार, कुपोषित बच्चों एवं नागरिकों का संरक्षण करेगी और उन्हें पोषण आहार उपलब्ध कराएगी। इसके साथ ही उनका जीवन स्तर ऊपर उठाने करने के लिए काम करेगी।

भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 47 की परिभाषा

अनुच्छेद 47 के अंतर्गत राज्य का प्राथमिक यह कर्तव्य होगा कि वह लोगो के पोषण आहार स्तर एवं जीवन स्तर को ऊंचा करने के लिए एवं लोक स्वास्थ्य में सुधार करने का पूर्ण प्रयास करेगा। तथा मादक पेय पदार्थो। (शराब, चरस, ड्राक्स, गांजा आदि) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक दवाइयों  पर प्रतिबंध करे।

भारतीय नागरिक के तीन महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार

1. पोषण आहार पाने का अधिकार मौलिक अधिकार है:- पी. यू. सी.एन. बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि गरीब, निर्धन एवं कमजोर वर्ग के लोगो को राज्य सरकार से आहार प्राप्त करना अनुच्छेद 21 के अनुसार मौलिक अधिकार प्राप्त है।

2. आश्रय एवं दैनिक सुविधा पाना भी मौलिक अधिकार है जानिए:-  चमेली सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिनिर्धारित किया गया की दलित एवं आदिवासी वर्ग के लोगो के लिए मकान देना एवं उसके साथ अन्य सुविधाएं देना राज्य का कर्तव्य हैं एवं अनुच्छेद 21 के अनुसार  यह उनका मौलिक अधिकार भी है।

3. चिकित्सा सहायता प्राप्त करना नागरिको का मौलिक अधिकार है जानिए:- परमानंद कटारा बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि किसी भी सरकारी अस्पताल या प्राइवेट अस्पताल में चिकित्सा सहायता पाना नागरिकों का अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मौलिक अधिकार है।

क्या है भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 जानिए संक्षिप्त रूप में

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 भारत के सभी नागरिकों को प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के संरक्षण का अधिकार है अर्थात राज्य सरकार नागरिकों को वो सभी सुविधा देगी जो उनके जीवन जीने के लिए पर्याप्त होगी यह अधिकार जीवन जीने के अधिकार के नाम से भी जाना जाता है एवं सभी मौलिक अधिकारों में यह अधिकार विस्तृत एवं श्रेष्ठ अधिकार माना जाता है एवं यह नागरिकों को स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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