Amazing facts in Hindi - भूरी-भूरी प्रशंसा क्यों की जाती है, सुनहरी प्रशंसा क्यों नहीं की जाती, यहां पढ़िए

Bhopal Samachar GK about Hindi language 

हिंदी दुनिया की सबसे बेहतरीन भाषा है क्योंकि इसमें संस्कृत के साथ-साथ दुनिया की लगभग हर भाषा के शब्द शामिल हैं और यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। आपने अक्सर पढ़ा होगा, हिंदी के विद्वान प्रशंसा के साथ कई बार भूरी शब्द का प्रयोग करते हैं। किसी विशेष की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हैं। सवाल यह है कि प्रशंसा भूरी क्यों की जाती है। सुनहरी प्रशंसा क्यों नहीं की जाती। आइए कुछ विद्वानों से पता करते हैं:- 

भूरी-भूरी प्रशंसा और भूरि-भूरि प्रशंसा में से सही वाक्य क्या है

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से बीएससी की पढ़ाई करने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक में परिचारक के पद पर कार्यरत हिंदी एवं उर्दू भाषा के जानकार श्री सक्षम जैन का कहना है कि प्रशंसा में भूरि-भूरि शब्द का प्रयोग किया जाता है, भूरी-भूरी शब्द का नहीं। भूरी का तात्पर्य BROWN कलर होता है जबकि भूरि शब्द का अर्थ होता है बहुत सारी, सबसे अधिक। इस प्रकार भूरी-भूरी प्रशंसा का अर्थ हुआ, सबसे अधिक प्रशंसा करना। 

भूरि शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई

हिंदी भाषा के विद्वान एवं लोकप्रिय लेखक श्री अरविंद व्यास बताते हैं कि "भूरि" संस्कृत भाषा का शब्द है। भूरि शब्द की उत्पत्ति भू धातु से हुई है। सबसे पहले इसका प्रयोग ऋग्वेद में किया गया। ऋग्वेद में भूरि शब्द का तात्पर्य प्रचुरता है। कल्पद्रुम के अनुसार भूरि के अर्थ स्वर्ण, विष्णु, ब्रह्मा, शिव, वासव (इन्द्र तथा इन्द्र से सम्बन्धित), तथा "प्रचुरता" है। 

कुल मिलाकर भूरि शब्द का अर्थ एक प्रकार से स्वर्ण यानी सुनहरा भी है। इस शब्द का प्रयोग भगवान श्री हरि विष्णु, ब्रह्मा एवं शिव के लिए किया गया है, और सर्वश्रेष्ठ और ऐसा जिसका ना कोई आदि है ना अंत, भी कहा जा सकता है। यानी भूरि-भूरि प्रशंसा का अर्थ हुआ, इस प्रकार की प्रशंसा जो सदैव के लिए है। जिसका ना कोई आदि और अंत नहीं है। जो सबसे अधिक है। जिससे अधिक और कुछ भी नहीं है। 

अगली बार जब कोई हिंदी का विद्वान आपके लिए भूरि-भूरि प्रशंसा शब्द का प्रयोग करें तो उसे बड़ा सा धन्यवाद दीजिए और यदि आपको अवसर मिले तो इस शब्द का प्रयोग अवश्य कीजिए, क्योंकि हिंदी के विकल्प के रूप में उपयोग की जाने वाली अंग्रेजी भाषा में इतनी बड़ी प्रशंसा के लिए कोई शब्द नहीं है। 

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