Madhya Pradesh Government employees news
मध्य प्रदेश के इंदौर जिला न्यायालय ने बीमा विवाद में फैसला सुनाते हुए कहा कि भले ही हादसे का शिकार हुए पुलिस अधिकारी की पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति मिल गई हो लेकिन उसे मुआवजा एवं इंश्योरेंस क्लेम का अधिकार है। कोर्ट ने मृत कर्मचारी की पत्नी को 85 लाख रुपए मुहावरा देने का आदेश दिया है।
एएसआई हर्षवर्धन सिंह सोलंकी मृत्यु की घटना का संक्षिप्त विवरण
दिनांक 13 नवंबर 2019 को विधानसभा उपाध्यक्ष के फॉलो वाहन में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर हर्षवर्धन सिंह एवं अन्य पुलिस कर्मचारी बैठे हुए थे कि तभी सामने से आए एक ट्रक ने टक्कर मार दी। इस एक्सीडेंट में कई पुलिस कर्मचारी घायल हुए थे जबकि श्री हर्षवर्धन सिंह सोलंकी की मृत्यु हो गई थी।
बीमा कंपनी क्लेम नहीं देना चाहती, दलील पढ़िए
श्री हर्षवर्धन सोलंकी की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी श्रीमती पूजा सोलंकी ने बीमा राशि के लिए क्लेम किया परंतु बीमा कंपनी ने यह कहते हुए उनका क्लेम रिजेक्ट कर दिया कि उन्हें अपने पति की जगह पर अनुकंपा नियुक्ति मिल गई है इसलिए बीमा का क्लेम नहीं दिया जाएगा। न्याय के लिए उन्होंने इंदौर जिला न्यायालय में परिवाद दाखिल किया। अधिवक्ता श्री गोविंद आर मीणा ने उनका पक्ष प्रस्तुत किया।
अनुकंपा नियुक्ति के कारण मुआवजा और बीमा क्लेम का अधिकार खत्म नहीं होता
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विद्वान न्यायाधीश श्री धर्मेंद्र सोनी ने स्पष्ट किया कि किसी भी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिजन को अनुकंपा नियुक्ति मिल जाने से बीमा क्लेम का अधिकार अथवा मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार खत्म नहीं होता। यह सब कुछ एक दूसरे के लिए वैकल्पिक नहीं है। माननीय न्यायाधीश ने आदेशित किया कि ट्रक का ड्राइवर, ट्रक का मालिक और बीमा कंपनी तीनों मिलकर ना केवल क्लेम की रकम अदा करेंगे बल्कि, दावा प्रस्तुत करने से लेकर फैसले की तारीख तक 6% ब्याज भी अदा करेंगे।
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