भारतीय दंड संहिता की धारा 482 और 484 में अपन ने पढ़ा कि अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा किसी सरकारी या प्राइवेट प्रतीक चिन्ह का कूटकरण (हूबहू असली के जैसा नकली बनाना) करना अपराध है। नहीं पढ़ा तो (यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं)। अब प्रश्न उपस्थित होता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी सरकारी या प्राइवेट प्रतीक चिन्ह (LOGO) के डिजाइन में छेड़छाड़ (Tinkering) करके उसका उपयोग करने लगे। उदाहरण के तौर पर किसी कंपनी के लोगों में से उसका नाम हटाकर अपना नाम लिख दे। तब ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कौन सी धारा के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। आइए जानते हैं:-
आईपीसी की धारा 483- गिरफ्तारी, जमानत, सजा और समझौता का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 483 के तहत ऐसे व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाता है जो किसी सरकारी अथवा प्राइवेट LOGO के डिजाइन में फेरबदल करके उसका उपयोग करने लगता है। इसके कारण भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है और LOGO के कारण दोनों समान प्रतीत होने लगते हैं। यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं। इनमें गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं होती और जमानत की प्रक्रिया पुलिस थाने में ही पूरी की जा सकती है। इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस अपराध के लिए दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 483 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा(1) के अनुसार सपत्ति चिन्हों का कुटकरण करने का अपराध एक समझौता योग्य अपराध हैं इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा अर्थात न्यायालय के बाहर ही उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिस व्यक्ति की या विभाग, कंपनी आदि के चिन्ह का कूटकरण किया गया है उससे किया जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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