JOLLY LLB-2 के इंस्पेक्टर सूर्यवीर सिंह जैसे हेड कांस्टेबल सहित तीन पुलिसकर्मियों को सजा

भोपाल। जौली एलएलबी 2 तो आपने देखी होगी। कैसे इंस्पेक्टर सूर्यवीर सिंह ने रिश्वत लेकर पकड़ा गया अपराधी छोड़ दिया और उसकी जगह पर एक निर्दोष व्यक्ति का एनकाउंटर कर दिया था। बिल्कुल ऐसा ही मामला सामने आया है। मध्य प्रदेश पुलिस के इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर में एक चोर को सफलतापूर्वक पकड़ा और फिर रिश्वत लेकर उसे छोड़ दिया। उसकी जगह पर आगरा उत्तर प्रदेश के 1 निर्धन व्यक्ति को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश कर दिया। कोर्ट में चालान पेश होने के बाद CDR के आधार पर सारा खुलासा हो गया और कोर्ट में तीनों पुलिस कर्मचारियों को 3-3 साल जेल की सजा सुनाई। 

भोपाल एक्सप्रेस में महिला आईपीएस ईशा पंत के मोबाइल चोरी की कहानी

मामला सन 2011 का है। भारतीय पुलिस सेवा की महिला अधिकारी ईशा पंत का भोपाल एक्सप्रेस में पर्स चोरी हो गया था। जीआरपी हबीबगंज रेलवे स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। प्रकरण की सुनवाई विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सागर आलोक मिश्रा की कोर्ट में हुई। लंबी जांच प्रक्रिया के बाद पाया गया कि इस मामले के इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर, हेड कांस्टेबल अशोक पटेल ने मोबाइल चोरों को पकड़ लिया था परंतु कागजों में उनकी गिरफ्तारी नहीं दिखाई। केवल चोरी गया मोबाइल उनसे ले लिया। ₹55000 रिश्वत लेकर पुलिस टीम ने अपनी जांच को दबा दिया और एक नई जांच रिपोर्ट बनाई। उत्तर प्रदेश के आगरा से एक निर्धन व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया और उसे चोर बताकर उसके पास से मोबाइल फोन जब किया जाना घोषित कर दिया। सभी प्रकार के दस्तावेज तैयार किए गए थे और आगरा के निर्धन व्यक्ति की बचने की कोई गुंजाइश नहीं थी। 

जब किस्मत हो बलवान तो क्या बिगाड़ लेगा पहलवान

आगरा के निर्धन व्यक्ति के पास तो अपना वकील करने के पैसे भी नहीं थे लेकिन उसकी किस्मत अच्छी थी। महिला आईपीएस के जप्त किए गए मोबाइल फोन की CDR (कॉल डिटेल रिपोर्ट) निकाली गई। पता चला कि मधु त्यागी नाम की एक महिला इस मोबाइल फोन का उपयोग कर रही थी और उसमें जो सिम थी, वह दीपक चौधरी के नाम पर जारी हुई थी। इंक्वायरी शुरू हुई तो पता चला कि भूपाल सिंह (मुंहबोले पिता) ने मधु को मोबाइल फोन दिया था। भूपाल सिंह ने कबूल किया कि उसी ने महिला आईपीएस का पर्स चोरी किया था। हेड कांस्टेबल अशोक पटेल ने उसे पकड़ भी लिया था, लेकिन ₹55000 लेकर छोड़ दिया। उसके बदले किसी दूसरे व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में आरक्षक रामप्रवेश यादव और चंद्रेश दुबे ने उसका साथ दिया। 

कोर्ट ने तीनों पुलिस कर्मचारियों को 3-3 साल जेल और 10-10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। इस मामले में यह जांच करना भी जरूरी है कि हेड कांस्टेबल अशोक पटेल अपने सेवाकाल में कुल कितने मामलों की जांच में शामिल रहा है और क्या यह पहला मामला था जिसमें उसने रिश्वत लेकर आरोपी बदल दिया या फिर इससे पहले भी उसने कई बार इसी प्रकार का अन्याय किया है।  

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