भोपाल। मध्य प्रदेश के रीवा जिले में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम से वापस लौट रहे सीधी जिले के रहने वाले कोल जनजाति के आदिवासी नागरिक हादसे का शिकार हो गए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी का सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी सीधी जिला प्रशासन को दी थी परंतु जिला प्रशासन अपने कर्तव्य में सफल नहीं हो पाया। नतीजा कई तरह के आरोप प्रत्यारोप सामने आ रहे हैं और बचाव के नाम पर जिला प्रशासन के पास बयानों के अलावा कुछ नहीं है। इस सब के कारण चुनावी माहौल में सरकार की काफी किरकिरी हो रही है।
अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां तक समय पर नहीं पहुंचाई
यहां विषय यह नहीं है कि अंतिम संस्कार हुआ या नहीं, मुद्दा यह है कि अंतिम संस्कार ठीक प्रकार से नहीं हुआ। अव्यवस्थाएं स्पष्ट दिखाई दी। बताया जा रहा है कि चोहरा गांव के 9 लोगों की एक्सीडेंट में मौत हुई थी। जिला प्रशासन द्वारा सभी के शव अंतिम संस्कार के लिए नदी किनारे भेज दिए गए थे परंतु उनकी अर्थी सजाने के लिए लकड़िया नहीं भेजी गई थी। कुछ समय बाद एक ट्रॉली लकड़ी आई। इस लकड़ी में 4 अर्थी बन पाई। आदिवासियों के 5 शव लकड़ियों के इंतजार में पड़े रहे। यदि जिला प्रशासन, शव के पहुंचने से पहले लकड़ियां पहुंचा देता तो किसी को उंगली उठाने का मौका नहीं मिलता।
प्रशासन ने अंतिम संस्कार की वीडियोग्राफी भी नहीं कराई
इस मामले में एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की संवेदनशीलता दिखाई दे रही है तो दूसरी तरफ प्रशासनिक लापरवाही के कारण सरकार की किरकिरी हो रही है। सबसे पहले किसी ने आरोप लगाया कि शवों को नगरपालिका की माल ढोने वाली गाड़ी में ले जाया गया है। दूसरा आरोप लगा कि अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां नहीं भेजी गई। दोनों आरोपों के जवाब में जिला प्रशासन के पास कोई वीडियो एविडेंस नहीं था। समाचार लिखे जाने कलेक्टर एवं PRO के फेसबुक पेज पर सिर्फ नगर परिषद रामपुर नैकिन के अध्यक्ष और सीएमओ के बयान प्रदर्शित किए गए थे।
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