जब किसी व्यक्ति को रोककर रखा जाता है तब वह सदोष अवरोध का अपराध होता है एवं किसी व्यक्ति को निश्चित समय या किसी समय सीमा के लिए रोककर रखा जाता है तो वह सदोष परिरोध का अपराध होता है। सदोष अवरोध का अपराध आईपीसी की धारा 341 के अंतर्गत होता है इसके लिए एक माह का सादा कारावास या एक हजार रुपए जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
सदोष परिरोध का अपराध आईपीसी की धारा 342 के अंतर्गत होता है। इसके लिए अपराधी को एक वर्ष की कारावास या एक हजार रुपए जुर्माना या दोंनो से दण्डित किया जा सकता है। यह दोनों अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध हैं इनकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती हैं।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 341 एवं 342 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा(1) के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अवरोध या पतिरोध का अपराध समझौता योग्य हैं। यह समझौता न्यायालय की बिना आज्ञा के उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिसे पतिरोध या अवरोध करके रखा गया है।
नोट:- इस भारतीय दण्ड संहिता के अध्याय से सम्बंधित निम्न अपराध भी समझौता योग्य है
1. धारा 343 (तीन दिन या अधिक दिनों तक व्यक्ति को रोककर रखना।
2. धारा 344 (दस दिन या दस दिनों से अधिक दिनों तक किसी को रोककर रखना।
3. धारा 346 (गुप्त स्थान पर किसी भी व्यक्ति को परिरोध करके रखना। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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