शिव-पूजा में 'पारद शिवलिंग' का खास महत्व है। सवा 8 महीने में 64 जड़ी-बूटियों के साथ सोना-चांदी मिलाकर इन्हें तैयार किया जा रहा है। इनकी कीमत 11000 रुपए से शुरू होकर 1 करोड़ तक होती है। यही कारण है कि पारद का शिवलिंग दुर्लभ माना जाता है और कहते हैं कि इसके दर्शन मात्र से मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
पारद शिवलिंग कैसे बनाया जाता है
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के बरेली तहसील में नर्मदा किनारे मांगरौल आश्रम बना है। यहां बरसों से पारद शिवलिंग बनाए जा रहे हैं। यहां के प्रमुख ब्रह्मचारी महाराज के मुताबिक, पारद शिवलिंग को बनाना बेहद मुश्किल काम है। बिना किसी मशीनी मदद से पारे को साफ करने के लिए 8 संस्कार (अष्ट-संस्कार) किए जाते हैं। इसके बाद सभी 64 औषधियां मिलाकर पारद का बंधन (ठोस बनाना) किया जाता है। पारद का प्रभाव बढ़ाने के लिए सोना-चांदी भी मिलाया जाता है। अष्ट संस्कार में 6 महीने लग जाते हैं। 2 महीने 15 दिन लगते हैं बाकी क्रियाओं में और इसके बाद पारद शिवलिंग बन कर तैयार होता है।
पारद शिवलिंग का धार्मिक महत्व
वैदिक मान्यताओं के अनुसार, पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का स्वरूप है। ब्रह्मचारी महाराज के अनुसार हिंदू धर्म के रूद्रसंहिता, शिवपुराण, ब्रह्मपुराण, वायवीय संहिता, ब्रह्मवैवर्तपुराण आदि कई ऐसे ग्रंथ हैं, जिनमें पारद के शिवलिंग की महिमा का उल्लेख मिलता है। सौभाग्य बढ़ाने वाले पारद शिवलिंग का पूजन हमेशा श्रेष्ठ होता है यहां क्लिक करके पढ़िए- पारद के शिवलिंग को चमत्कारी क्यों माना जाता है।
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