GWALIOR NEWS- 84% बलात्कार के मामले झूठे निकले, न्यायालय से निर्दोष साबित हुए

ग्वालियर
। भोपाल समाचार डॉट कॉम लंबे समय से इस विषय पर फोकस करता रहा है। ग्वालियर में बलात्कार के झूठे मामले दर्ज किए जाते हैं। लड़कों पर दबाव बनाने के लिए, पैसा वसूली के लिए लड़कियां पुलिस के पास पहुंच जाती है और पुलिस प्राथमिक पुख्ता साक्ष्य ना होने के बावजूद मामले दर्ज कर लेती है। इतना ही नहीं पुलिस अपनी इन्वेस्टिगेशन में बलात्कार की पुष्टि भी कर देती है। साल 2022 में 84% बलात्कार के मामले झूठे पाए गए। आरोपियों को न्यायालय ने निर्दोष घोषित किया। 

पुलिस ने 52 लोगों को बलात्कारी बताया, कोर्ट में साबित नहीं कर पाए

ग्वालियर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार बलात्कार के कुल 40 मामलों में साल 2022 में फैसले सुनाए गए। इनमें आरोपियों संख्या 52 जिनमें से मात्र 8 आरोपी, कोर्ट में ट्रायल के दौरान दोषी पाए गए और उन्हें दंडित किया गया। शेष सभी मामलों में या तो पीड़ित लड़की अपने बयान से मुकर गई या फिर पुलिस इन्वेस्टिगेशन में एविडेंस ही नहीं थे। बस लड़की के बयान के आधार पर चालान पेश कर दिया गया था। 

ग्वालियर में हनीट्रैप का संगठित अपराध चल रहा है 

दरअसल ग्वालियर में हनी ट्रैप का संगठित अपराध चल रहा है। इसमें कुछ पुलिसवाले भी शामिल है। यदि SIT बनाकर सभी मामलों की जांच की जाएगी तो पाएंगे कि पड़ाव थाने में दर्ज होने वाले ज्यादातर बलात्कार के मामलों की कहानी एक जैसी होती है। सिर्फ फरियादी लड़की, आरोपी लड़के और घटनास्थल का नाम बदलता है। कई मामलों में फरियादी लड़की का पता और मोबाइल नंबर फर्जी पाया जाता है। केवल इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को लड़की का असली नंबर पता होता है। कुछ मामले तो ऐसे भी हैं जिसमें फरियादी लड़की मामला दर्ज करा कर चली जाती है। लंबे समय तक कोर्ट में बयान देने के लिए नहीं आती। 

असली मामलों में लड़की का पूरा परिवार संघर्ष करता है

बलात्कार के असली मामले कोर्ट में बड़ी आसानी से पहचान में आ जाते हैं। लड़की का पूरा परिवार दुष्कर्मी को सजा दिलाने के लिए संघर्ष करता हुआ दिखाई देता है। कई बार तो आरोपी के वकील से सीधी बहस की जाती है और उसे बद्दुआएं में दी जाती है। ट्रायल के दौरान कोर्ट परिसर के बाहर फरियादी और उसके परिवार का गुस्सा काफी कुछ बयां कर देता है। इस प्रकार के मामलों में न्यायालय भी कठोर दंड देता है।

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