कहते हैं कि महिलाओं की नाक पुरुषों की नाक से ज्यादा तेज होती है। वह किसी भी गंध हो पुरुषों की तुलना में ज्यादा अच्छी तरीके से पहचान लेती हैं। डॉक्टर्स भी कहते हैं कि यह बात सही है। महिलाओं की नाक पुरुषों की तुलना में ज्यादा अच्छा काम करती है लेकिन सवाल यह है कि ऐसा क्यों होता है। महिलाओं की नाक में ऐसा क्या होता है जो पुरुषों की नाक में नहीं होता। आइए समझते हैं:-
नवजात शिशु अपनी मां को कैसे पहचानता है
मनुष्य की नाक में Epithelial Tissue (एपीठेलियल टिशु) होते हैं जिसमें 20000000 से भी ज्यादा Olfactory Cells (ओल फैक्ट्री सेल्स) और उनके रिसेप्टर्स होते हैं जो किसी भी गंध को कलेक्ट कर के दिमाग तक ले जाते हैं। दिमाग पता लगाता है कि इस गंध के आने से कौन से हारमोंस (खुशी देने वाले या स्ट्रेस देने वाले) रिलीज हुए। उसके हिसाब से दिमाग उस गंध को खुशबू या बदबू वाले सेक्शन में ले जाकर SAVE कर देता है। अगली बार जैसे ही सुबह गंध नाक तक पहुंचती है। दिमाग पहचान जाता है और रिएक्ट करता है। यही कारण है कि नवजात शिशु जब देख और बोल नहीं पाता तब भी अपनी मां को पहचान जाता है।
महिलाओं की नाक पुरुषों की तुलना में तेज क्यों होती है
ईश्वर ने ऑल फैक्ट्री सेल्स और उनके रिसेप्टर्स, महिला एवं पुरुष दोनों की नाक में समान रूप से डाले हैं परंतु करोड़ों सालों से महिलाएं इनका सर्वाधिक उपयोग करती रही है इसलिए हर आने वाली पीढ़ी की महिला की नाक ज्यादा तेज काम करती है। दरअसल, लाखों साल पहले भी महिलाएं, पुरुष के शरीर की गंध से जीवनसाथी के रूप में उसका चुनाव किया करती थीं। जिस पुरुष के शरीर की गंध से महिला के मस्तिष्क में डोपामाइन हारमोंस रिलीज होता है, स्वाभाविक रूप से महिला उसी पुरुष से किसी भी प्रकार का संबंध रखना पसंद करती है।
महिला द्वारा किसी पुरुष को पसंद और नापसंद करने का साइंटिफिक रीजन
जिस पुरुष के शरीर की गंध से स्ट्रेस देने वाले हारमोंस रिलीज होने लगते हैं, चाहे वह पुरुष कितना भी अच्छा क्यों ना हो। महिलाएं उससे दूर चली जाती है। यानी प्राचीन काल से ही महिलाएं अपनी नाक का इस्तेमाल करके अपने लाइफ पार्टनर का चुनाव करती आ रही है। अब उनकी नाक इतनी ज्यादा तेज हो गई है कि, वह यह भी पता लगा लेती है कि उनका पार्टनर किसके साथ और किस प्रकार की मीटिंग करके आ रहा है।
महिलाओं को कैसे पता चल जाता है, पार्टनर किस से मिलकर आ रहा है
दरअसल, जब पुरुष किसी पराई स्त्री से मिलकर अपनी पत्नी के पास पहुंचता है तब उसे भीतर से डर लग रहा होता है और इसी डर के कारण उसके पसीने की गंध (शरीर की खुशबू) बदल जाती है। पीढ़ी दर पीढ़ी लाखों साल की प्रैक्टिस के कारण महिलाएं इसे पहचानने में स्वाभाविक रूप से माहिर होती हैं। उन्हें पता चल जाता है कि उनका पार्टनर डर रहा है। फिर वह अपने कॉमन सेंस का उपयोग करती हैं और डर का कारण पता कर लेती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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