CrPC 291- डॉक्टर की मेडिकल रिपोर्ट क्या कोर्ट में सबूत मानी जाती है, जानिए

Bhopal Samachar
जब कोई अपराध हत्या, चोट, बलात्कार या मारपीट आदि का होता है तब पुलिस का कर्तव्य है कि आरोपी या पीड़ित का तुरंत मेडिकल कराए। मेडिकल किसी भी रजिस्ट्रीकृत हॉस्पिटल में एक सिविल सर्जन से करवाना अनिवार्य होता है। सिविल सर्जन, मेडिकल रिपोर्ट को पुलिस अधिकारी को तुरंत सौंप देगा। अब सवाल यह है कि आपराधिक मामलों में बनी मेडिकल रिपोर्ट न्यायालय में कब साक्ष्य के रूप में पेश होगी एवं क्या मेडिकल रिपोर्ट पुलिस को देने के बाद भी डॉक्टर को न्यायालय गवाही के लिए हाजिर होना पड़ता है जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 291 की परिभाषा

आरोपी की उपस्थिति में मजिस्ट्रेट के समक्ष या रिपोर्ट द्वारा या किसी कमीशन पर सिविल सर्जन या अन्य डॉक्टरी साक्षी साक्ष्य इस धारा के अंतर्गत साक्ष्य अभिलेख होंगे।
अगर आरोपी या पीड़ित व्यक्ति मेडिकल रिपोर्ट के साथ मजिस्ट्रेट के समक्ष सिविल सर्जन (डॉक्टर) को बुलाने की मांग करता है या चिकित्सक की पीड़ित व्यक्ति, आरोपी एवं मजिस्ट्रेट के समक्ष आकर साक्षी के रूप में साक्ष्य देने होंगे।

कुल मिलाकर साधारण शब्दों में कहे तो उपर्युक्त धारा यह बताती है कि न्यायालय में डॉक्टरी (मेडिकल) रिपोर्ट को किस प्रकार से साक्ष्य के रूप में गृहण किया जाता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

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