भोपाल। मध्य प्रदेश वन विभाग के 2 बड़े अधिकारी एपी श्रीवास्तव एवं विनय बर्मन के खिलाफ हाईकोर्ट ने आपराधिक विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे की जनहित याचिका पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा यह आदेश जारी किया गया।
वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट श्री अजय दुबे ने बताया कि, वर्ष 2015 में मध्यप्रदेश के वन विभाग की संस्था मप्र इको टूरिज्म बोर्ड ने वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत नेशनल टाइगर कंजर्वशन अथॉरिटी और सेंट्रल जू अथॉरिटी की( prior approval) अनुमति के बिना पेंच टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में करीब 7 करोड़ रुपए की अवैध टाइगर सफारी का निर्माण कार्य किया था जिसके कारण करीब 7 टाइगर की मौत हुई थी।
श्री दुबे ने कहा कि, मैने इस अवैध निर्माण को रोकने और बाघों को बचाने के लिए वन विभाग को लिखित में कई मर्तबा अनुरोध किया था लेकिन भ्रष्ट वन विभाग ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इस अवैध निर्माण में करीब 7 करोड़ रुपए खर्च हुए कई टाइगर की मौत हुई जिसकी पुष्टि स्वयं एनटीसीए ने जांच कर कही।
मैने एनटीसीए और सीजेडए को भी लिखा और मिला जिसके फलस्वरूप सीजेडए ने दोनो टाइगर सफारी के निर्माण पर रोक लगाई।
मैने 2016 में मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस मामले में जांच के लिए प्रार्थना की और इसमें प्रमुख आरोपी तत्कालीन अपर मुख्य सचिव वन विभाग एपी श्रीवास्तव और विनय बर्मन पूर्व सीईओ मप्र इको टूरिज्म बोर्ड को बताया। याचिका में हमारा पक्ष एडवोकेट आदित्य सांघी ने रखा।
मप्र हाई कोर्ट के समक्ष मप्र सरकार ने एनटीसीए की रिपोर्ट पर कार्यवाही का वचन दिया। मान मप्र हाईकोर्ट के विद्वान चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा ने हमारी याचिका स्वीकार कर ऐतिहासिक आदेश में राज्य सरकार को एपी श्रीवास्तव और विनय बर्मन के विरुद्ध अपराधिक/विभागीय जांच हेतु परीक्षण कर कार्यवाही के लिए कहा।जांच न होने पर पुनः याचिका दायर करने की आजादी दी है।