Fundamental Rights- क्या मौलिक अधिकार संरक्षण की याचिका पहले हाईकोर्ट में लगानी पड़ती है

यह हम सभी जानते हैं कि उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय दोंनो ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों का संरक्षण करते हैं एवं दोनों के कंधों पर ही मूल अधिकारों की रक्षा का भार होता है। 

मौलिक अधिकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में अंतर

उच्चतम न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत मौलिक अधिकार की रक्षा करता है एवं उच्च न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत मौलिक अधिकार की रक्षा करता है। अब एक सवाल उत्पन्न होता है। जब सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट से उच्च होता है तब क्या मौलिक अधिकार के संरक्षण के लिए नागरिक डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा सकता है या पहले हाईकोर्ट में लगाना होगा जानिए।

तो उत्तर है नहीं। नागरिक अपने मौलिक अधिकार के प्रवर्तन के लिए कहीं पर भी याचिका दायर कर सकता है, अर्थात हाईकोर्ट में जाये बिना वह सीधे ही सुप्रीम कोर्ट में जाने का अधिकार रखता है एवं यह पीड़ित व्यक्ति पर निर्भर करता है उसे कहां जाना है। 

मौलिक अधिकार के संबंध में सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट की अधिकारिता

उच्च न्यायालय की अधिकारिता सुप्रीम कोर्ट से ज्यादा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट केवल मूल अधिकारों के प्रवर्तन के लिए ही रिट याचिका जारी करता है, जबकि हाईकोर्ट मौलिक अधिकारों के साथ साथ अन्य प्रयोजनों के लिए भी रिट जारी कर सकता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 32 के अंतर्गत कोई आदेश पारित कर दिया जाता है तो वह आदेश हाईकोर्ट में भी प्रभावी होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !