क्या है निवारक-निरोध संरक्षण का मौलिक अधिकार जानिए- fundamental rights

भारतीय संविधान में दो प्रकार की गिरफ्तारी के विरुद्ध आरोपी व्यक्ति को संरक्षण प्राप्त है पहला सामान्य विधि के अंतर्गत गिरफ्तारी में संरक्षण अर्थात आईपीसी, मूल विधियां आदि। दूसरी निवारक निरोध अर्थात प्रतिबंधित कार्यवाही से संरक्षण। जब कोई गिरफ्तारी किसी सुरक्षा व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा या लोकशान्ति भंग या परिशांति भंग प्रतीत होती है तब गिरफ्तार व्यक्ति को निरूद्ध रखा जाता है लेकिन निरूद्ध (बंदी) व्यक्ति के कुछ मौलिक अधिकार होते हैं जानिए।

भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 22(4) की परिभाषा

किसी भी व्यक्ति की सामान्य गिरफ्तारी या किसी लोकशान्ति की बनाये रखने के लिए निवारक निरोध व्यक्ति के लिए तब तक ही कैद में रखा जा सकता है जब तक ऐसे व्यक्ति को बंदी रखने का कोई ठोस आधार होगा अन्यथा ऐसे निरूद्ध व्यक्ति को 180 दिनों के बाद जमानत पर छूटने का पूर्ण अधिकार होगा एवं यह उसका संवैधानिक अधिकार हैं।

साधारण शब्दों में कहें तो किसी भी आदतन अपराधी पर प्रतिबंधित कार्यवाही भी ठोस आधार पर की जायेगे अन्यथा ऐसे व्यक्ति को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है छूटने का। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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