MP BOARD- 10वीं-12वीं परीक्षा की तारीख बदली, साधारण सभा का फैसला- NEWS TODAY

भोपाल
। माध्यमिक शिक्षा मंडल, भोपाल, मध्यप्रदेश की साधारण सभा ने कक्षा 10 हाईस्कूल एवं कक्षा 12 हायर सेकेंड्री स्कूल की वार्षिक परीक्षाओं की तारीख बदल ली है। पहले मध्यप्रदेश में बोर्ड परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू होने वाली थी। अब 1 मार्च से परीक्षा कराने का फैसला लिया गया है। इस साल एमपी बोर्ड की दसवीं-बारहवीं परीक्षा में 18 लाख से ज्यादा विद्यार्थी शामिल होंगे।

माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 3 अक्टूबर 2022 को निर्देश जारी कर हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी बोर्ड परीक्षा की तारीख घोषित कर दी थी। निर्देश में कहा गया था कि दोनों कक्षाओं की प्रायोगिक परीक्षाएं 13 फरवरी से 25 मार्च 2023 के बीच और सैद्धांतिक परीक्षाएं 15 फरवरी से 20 मार्च 2023 के बीच आयोजित की जाएंगी। वार्षिक परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू होने पर माशिमं के सदस्यों ने विरोध किया। मंडल के कुछ सदस्यों का कहना था कि विद्यार्थियों को पढऩे का समय नहीं पाता है। पंद्रह फरवरी से परीक्षा शुरू होने पर कोर्स भी अधूरा रहता है। 

बोर्ड के सदस्यों के प्रस्ताव पर साधारण सभा की हाल ही में आयोजित बैठक में एक मार्च से परीक्षा शुरू करवाने का निर्णय ले लिया गया है। एक मार्च से परीक्षा शुरू होने से फरवरी में प्रैक्टिकल की परीक्षाएं संपन्न करवाई जाएगी। मंडल द्वारा परीक्षा विस्तृत टाइम टेबिल जल्द घोषित किया जाएगा।

फरवरी में बोर्ड परीक्षा से स्टूडेंट्स को फायदा

कोरोना कॉल से मंडल ने दसवीं-बारहवीं की फरवरी से परीक्षाएं आयोजित करने की शुरुआत की थी। इस बार भी मंडल ने पंद्रह फरवरी से परीक्षाएं शुरू करने की तिथि घोषित कर दी थी। फरवरी में परीक्षाएं शुरू करने से विद्यार्थियों को इससे फायदा मिल रहा था। मुख्य परीक्षा फरवरी में शुरू होकर मार्च में समाप्त हो जाती थी। मार्च के पहले सप्ताह में ही परीक्षाएं समाप्त होने से विद्यार्थियों को नीट, जेईई जैसी परीक्षा की तैयारी करने के लिए समय मिल जाता था। लेकिन मार्च में परीक्षा शुरू होकर अप्रैल तक परीक्षा होने से विद्यार्थियों को नीट, जेईई जैसी परीक्षा के लिए अब पर्याप्त समय नहीं मिल पाएगा।

परीक्षा केंद्राध्यक्ष की रेंडम नियुक्ति पद्धति का विरोध

माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं-बारहवीं परीक्षा में प्रदेश में करीब साढ़े तीन हजार परीक्षा केंद्र बनाए जाते है। इन केंद्रों पर केंद्राध्यक्ष रेंडम पद्धत्ति से चयन कर नियुक्त किया जाता है। जिसमें प्राचार्यों को पता नहीं रहता कि उन्हें किस परीक्षा केंद्र का केंद्राध्यक्ष बनाया जाएगा। लेकिन बोर्ड के कुछ सदस्य व कुछ जिलों को प्राचार्य इस पद्धत्ति का विरोध करते रहे है। इस बार भी रेंडम पद्धत्ति का विरोध किया जा रहा है। 

परीक्षा केंद्राध्यक्ष की रेंडम नियुक्ति से नकल पर लगाम लगी है

बोर्ड सदस्यों का कहना है कि जिसे परीक्षा केंद्र बनाया जाता है, उसी स्कूल का प्राचार्य रहेगा, तो परीक्षा आसानी से संपन्न हो सकेगी। उसी स्कूल में प्राचार्य के रहने के कारण वह अन्य काम भी कर सकेगा। रेंडम पद्धत्ति के कारण प्राचार्यों को लंबी दूरी पर भेज दिया जाता है। जिससे उनकी रहने या आने-जाने की व्यवस्था ठीग ढंग से नहीं पाती है और वह परेशान रहता है। लेकिन खास बात है कि 2012 के पहले तक रेंडम पद्धत्ति की व्यवस्था नहीं थी। इससे भिंड, मुरैना, रीवा, सतना जैसे जिलों में खूब नकल होती थी। उसी स्कूल के प्राचार्य होने के कारण नकल माफिया सेटिंग कर सामूहिक नकल करवाते थे। 2012 के बाद यह परीक्षा केंद्र में उसी स्कूल के प्राचार्य को केंद्राध्यक्ष बनाने की व्यवस्था समाप्त कर दी। नई व्यवस्था के तहत रेंडम पद्धत्ति से परीक्षा केंद्रों पर केंद्राध्यक्ष की नियुक्ति की जाने लगी। इसका नतीजा यह रहा कि वर्ष 2014 के बाद प्रदेश के किसी भी परीक्षा केंद्र में सामूहिक नकल प्रकरण के सामने नहीं आए है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !