किसी व्यक्ति को निर्धनता के कारण विधि-व्यवसायी से संपर्क स्थापित करने में असमर्थ हैं तो राज्य का कर्त्तव्य है कि वह उसे निःशुल्क वकील उपलब्ध कराए।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39(क) में यह कर्तव्य राज्य की अधिरोपित किया गया है। इतना ही नहीं दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 304 में भी इस व्यवस्था को स्थान दिया गया है एवं भारतीय संविधान में भी आरोपी एवं दोषसिद्धि व्यक्ति की निःशुल्क वकील उपलब्ध करवाना मौलिक अधिकार प्राप्त है जानिए।
भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 22(2) की परिभाषा
गिरफ्तारी का कारण जानने के बाद गिरफ्तार व्यक्ति का दूसरा मौलिक अधिकार है अपनी रुचि के अनुसार वकील से परामर्श करने का। वकील के माध्यम से वह अपनी प्रतिरक्षा करता है हम यह जानते है कि विधि की अज्ञानता क्षम्य योग्य नहीं है इसलिए उसे विधि व्यवसायी से परामर्श दिलवाना अति आवश्यक है और यह गिरफ्तार व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है इसे उसे वांछित नहीं किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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