भारत की राजधानी दिल्ली की पुलिस ने नेहा छाबड़ा, अर्चना आहूजा, शुभम आहूजा और उदित मेहता को गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि यह चारों दिल्ली में प्राइवेट नौकरी के नाम पर भारत भर में युवाओं को ठगी का शिकार बना रहे थे।
व्हाट्सएप मैसेज कर दिया था नौकरी का ऑफर
उत्तर-पश्चिम पुलिस उपायुक्त, उषा रंगनानी ने बताया कि साइबर पुलिस को एक शिकायत मिली थी। शिकायतकर्ता का कहना था कि एक अनजान नंबर से उसके व्हाट्सएप पर मैसेज आया। उसमें लिखा था कि दिल्ली में हाई प्रोफाइल अकेली महिलाओं के घर जाकर मसाज सर्विस के बदले 5000 से ₹10000 रोज मिलेंगे। जब शिकायतकर्ता ने उस नंबर पर कॉल किया तो उसे बताया गया कि उसे मात्र ₹3500 बतौर गारंटी जमा करने होंगे। यदि वह महिला को मसाज सर्विस देने नहीं गया तो उसके पैसे जप्त कर लिए जाएंगे। शिकायतकर्ता ने ₹3500 मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से ट्रांसफर कर दिए।
इसके बाद उससे मसाज किट खरीदने के लिए 12600 रुपए मांगी गई। फिर वीआईपी एंट्री कार्ड तैयार करवाने के लिए 15500 रुपए मांगे गए और एक होटल में कमरे की बुकिंग के लिए 9400 रुपए का पेमेंट करवाया गया। उसे बताया गया कि जब होटल में महिला से मिलेगा तो महिलाओं से एंट्री कार्ड और होटल बुकिंग के पैसे नगद वापस कर देगी। इसके बाद जैसे ही उससे एक अन्य प्रक्रिया के नाम पर पैसे मांगे गए तो शिकायतकर्ता ने पैसे देने से मना कर दिया। वह अब तक 47200 रुपए का भुगतान कर चुका था। उसने अपने पैसे वापस मांगे लेकिन आरोपियों द्वारा पैसे वापस नहीं किए गए।
शिकायतकर्ता ने इस मामले की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने आईपीसी की धारा 420 के तहत मामला दर्ज करके इन्वेस्टिगेशन शुरू कर दी। एक टीम का गठन किया गया जिसमें उन सभी बैंक खातों की जांच पड़ताल की जिसमें पेमेंट ट्रांसफर किए गए थे। इन्वेस्टिगेशन के दौरान एविडेंस मिलने के बाद पुलिस ने दो महिलाओं एवं दो पुरुषों को गिरफ्तार कर दिया। पुलिस का कहना है कि इन लोगों के पास से सात मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एटीएम कार्ड समेत कई डिजिटल उपकरण बरामद किए हैं।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि पूछताछ के बाद पता चला है कि शुभम आहूजा रैकेट का मास्टरमाइंड है और जनक पार्क में एक किराए के घर में रहकर अपना नेटवर्क चलाता था। इसके अलावा उदित मेहता को 20,000 रुपए प्रति माह और नेहा छाबड़ा और अर्चना आहूजा दोनों को 15,000 रुपए प्रति माह वेतन पर रखा गया था, जो टेली-कॉलर का काम करती थीं। यह लोग सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और डेटिंग ऐप के जरिए लड़कों को अपने जाल में फंसाते थे। ठगी का शिकार ज्यादातर लड़के शर्म के कारण इनकी शिकायत नहीं करते थे।