सिविल मामलों में द्वितीय अपील कब और किस आधार पर की जाती है जानिए -CPC 100

सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 96 मैं बताया गया था की अगर कोई निर्णय सिविल कोर्ट द्वारा गलत तरीके से सुना दिया गया हो तो कोई भी पक्षकार जो उस निर्णय असंतुष्ट है वह जिला कोर्ट में उस निर्णय को पलटने के लिए प्रथम अपील कर सकता है। लेकिन अगर कोई पक्षकार प्रथम अपीलीय न्यायालय के निर्णय से भी संतुष्ट नहीं हुआ है तब वह द्वितीय अपील भी कर सकता है जानिए।

सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 100 की परिभाषा

जो भी पक्षकार प्रथम अपीलीय न्यायालय के डिक्री,निर्णय आदि से असंतुष्ट होगा वह उच्च न्यायालय में द्वितीय अपील कर सकता है, लेकिन द्वितीय अपीलीय न्यायालय में अपील कब स्वीकार हो सकती है जानिए:-
अगर अधीनस्थ अपीलीय न्यायालय ने सबूतों को अनदेखा कर निर्णय दिया है तो वह निर्णय विधि के अनुसार गलत है यह अपील द्वितीय अपीलीय न्यायालय में स्वीकार होगी।

लेकिन यदि तथ्यात्मक गलती हैं तो अपील उच्च न्यायालय में स्वीकार नहीं होगी चाहे वह गलती बड़ी हो या छोटी क्योंकि तथ्यात्मक बिंदु उच्च न्यायालय में द्वितीय अपील का आधार नहीं होगा।

साधारण शब्दों में कहे तो उच्च न्यायालय में द्वितीय अपील किसी विधि(कानून) के उल्लंघन अर्थात विधि विरुद्ध प्रथम अधीनस्थ न्यायालय द्वारा दी गई है तो मान्य होगो लेकिन निर्णय में तथ्यों की भूल की भूल की गई है तो यह अपील स्वीकार योग्य नहीं है।

यही बात भारतीय दण्ड संहिता,1860 में कही गई है कि तथ्यों की भूल क्षमा योग्य हो सकती है लेकिन विधि की भूल क्षमा योग्य नहीं होगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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