मध्यप्रदेश के जबलपुर स्टेट हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि डाक विभाग की गलती के कारण अभ्यर्थी को दंडित नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने राहत देते हुए परीक्षार्थी को मुख्य परीक्षा में शामिल करने के निर्देश दिए हैं। मामला सिविल जज मुख्य परीक्षा का है।
ऐसी कैसी स्पीड पोस्ट- धार से जबलपुर पांचवे दिन पहुंची
याचिकाकर्ता धार निवासी दीपक अलावा की ओर से अधिवक्ता रवींद्रनाथ चतुर्वेदी व हितेंद्र कुमार गोल्हानी ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता सिविल जज (जूनियर डिवीजन) प्रवेश स्तर की प्रारंभिक परीक्षा 2021 में शामिल हुआ। उसका चयन मुख्य परीक्षा के लिए हो गया। इसके लिए आवेदन की अंतिम तिथि 18 जुलाई, 2022 थी। 14 जुलाई को उसने डाक के जरिये आवेदन भेजा। लेकिन यह 18 की बजाय 19 जुलाई को नियोक्ता तक पहुंचा।
इसके चलते उसे 17 अगस्त को जारी अंतिम सूची से बाहर कर मुख्य परीक्षा से वंचित कर दिया गया। वकीलों ने दलील दी कि केवल 1 दिन की देरी हुई है और इसके लिए डाक विभाग जिम्मेदार है परंतु उम्मीदवार का कैरियर बर्बाद हो रहा है। सुनवाई के बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने वकीलों को इस तर्क को स्वीकार किया और याचिकाकर्ता को मुख्य परीक्षा में शामिल करने के निर्देश दिए।