भोपाल। मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में संचालित सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर को उसके संवैधानिक अधिकारों का हनन करते हुए बर्खास्त करने का मामला सामने आया है। कॉलेज के डीन ने ना तो उसे कोई नोटिस दिया और ना ही सुनवाई का अवसर दिया। डायरेक्टर बर्खास्त कर दिया।
बताया गया है कि सर्जरी डिपार्टमेंट के HOD डॉ अनंत राखुंडे ने 21 जून को डीन डॉ केबी वर्मा को लेटर लिखा था कि डॉ राजकुमार सिंह जाट का कार्य संतोषप्रद नहीं है। जिम्मेदारी का पालन ठीक से नहीं करते, इनका व्यवहार साथी स्टाफ के प्रति ठीक नहीं है। वरिष्ठ अधिकारियों के आकस्मिक अवलोकन में भी अनुपस्थित रहे, पूछने पर कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया। बिना सूचना के गायब हो जाते हैं जिसके कारण मरीजों का इलाज प्रभावित होता है।
विभागाध्यक्ष डॉ अनंत राखुंडे की अनुशंसा पर कॉलेज डीन ने सीनियर रेजिडेंट डायरेक्टर डॉ राजकुमार सिंह जाट की सेवाएं समाप्त कर दीं। डॉ राजकुमार का कहना है कि षड्यंत्र के तहत उन्हें हटाया है। हटाने से पहले एक माह का नोटिस तक नहीं दिया। एकाएक सेवाएं समाप्त कर दीं। इसलिए वह कोर्ट की शरण में जाएंगे। वहीं डीन डॉ केबी वर्मा का कहना है कि शिकायतों व लापरवाही के आधार पर ही डॉ राजकुमार जाटव की सेवाएं समाप्त की गईं हैं।
कानून क्या कहता है
कॉलेज के डीन डॉ केबी वर्मा ने इस प्रकार की कार्रवाई करके डॉ राजकुमार की मदद कर दी है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट द्वारा दर्जनों फैसलों में बार-बार यह निर्देशित किया गया है कि किसी भी प्रकार की प्रशासनिक कार्रवाई से पहले दूसरे पक्ष को नोटिस के माध्यम से समय और सुनवाई का अवसर दिया जाना अनिवार्य है। यह किसी भी नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। फिर चाहे वह कोई नियमित शासकीय कर्मचारी हो अथवा आम नागरिक।
डॉ राजकुमार को मेडिकल कॉलेज के डीन के एकतरफा फैसले के विरुद्ध आसानी से स्थगन आदेश मिल जाएगा। सबसे बड़ी समस्या यह है कि विभागाध्यक्ष डॉ अनंत राखुंडे ने जो रिपोर्ट सौंपी थी अब उस पर कोई सुनवाई पर बहस नहीं हो पाएगी।