जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका की सुनवाई के दौरान खुलासा हुआ है कि पन्ना के महाराजा द्वारा फौज के उपयोग के लिए रक्षा विभाग को दान की गई जमीन पर ना केवल मध्य प्रदेश की सरकार ने कब्जा कर लिया बल्कि JK कंपनी को ठेके पर दे दी। जिस जमीन पर फौजियों को ट्रेनिंग दी जानी चाहिए थी, उस जमीन पर खदान खोदी जा रही है।
कटनी के पूर्व जिला पंचायत सदस्य अनिल तिवारी ने याचिका प्रस्तुत की है। उनकी ओर से अधिवक्ता वीके शुक्ला ने मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष अपना पक्ष रखा। बताया कि सन 1949 में जब विंध्य प्रांत का भारत संघ में विलय हुआ था। पन्ना राज्य के महाराजा महेंद्र सर यादवेंद्र सिंह ने अपनी 1800 एकड़ बहुमूल्य जमीन भारतीय सेना के उपयोग के लिए रक्षा विभाग को दान की थी।
भारत के रक्षा मंत्रालय ने दान में मिली जमीन पर बागड़ तक नहीं लगाई। इधर JK सीमेंट कंपनी वालों की नजर इस जमीन पर पड़ गई। मध्य प्रदेश की राज्य सरकार से सांठगांठ की गई। तत्कालीन सरकारी अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय के नाम दान हुई जमीन को सरकारी जमीन घोषित कर दिया और इस जमीन को JK कंपनी को लीज पर दे दिया। कंपनी यहां पर खदान चलाकर करोड़ों कमा रही है। जबकि यदि रक्षा मंत्रालय यहां पर एक स्टेडियम बना देता तो उससे सैकड़ों सैनिकों का वेतन निकल सकता था।
रक्षा मंत्रालय की ओर से हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश किया गया। इसमें बताया गया कि पन्ना के महाराजा द्वारा जमीन उन्हें दान की गई थी। अब केवल मध्य प्रदेश की राज्य सरकार का पक्ष आना बाकी रह गया है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीख सुनिश्चित कर दी है।
यदि घोटाला प्रमाणित हो गया तो उन अधिकारियों के लिए काफी महंगा पड़ेगा जिन्होंने किसी साजिश के तहत इस जमीन को सरकारी घोषित करके JK कंपनी को आवंटित किया है साथ ही JK कंपनी को जमीन खाली करनी पड़ेगी।